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एनआइआरएफ रैंकिंग: मैनिट के प्रदर्शन में तीन साल में 20 पॉइंट की गिरावट
भोपाल न्यूज़: मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों में नवाचार की कमी है. चाहे हम इंजीनियरिंग, मेडिकल या पारंपरिक विश्वविद्यालय की बात करें सभी सिर्फ परीक्षा लेने के सेंटर बनकर रह गए हैं. शिक्षकों और इंस्टू्रमेंट की कमी है. रिसर्च के मामले में भी विश्व विद्यालय पीछे हैं. रैंकिंग सुधारने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को भी उपयोग में लाना होगा.
राधावल्लभ शर्मा, शिक्षाविद, पूर्व अतिरिक्त संचालक,उच्च शिक्षा विभाग
एनबीए की टीम को मिली थी कई कमियां
पांच महीने पहले मैनिट का निरीक्षण करने पहुंची नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) की टीम ने संस्थान में कई कमियां पायी थीं. सुधार के सुझाव भी दिए थे. 15 जनवरी को मैनिट में मैकेनिकल डिपार्टमेंट के अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम्स के एक्रीडिटेशन के असेसमेंट के लिए आए विशेषज्ञों ने संस्थान की कमियों को सुधारने का निर्देश दिया था.
मैनिट में लैब अपग्रेड न होने के कारण रिसर्च में काफी परेशानी आती है. रिसर्च एक्सपेरिमेंट के लिए इंदौर आइआइटी या प्रयागराज जाना पड़ता है. एनआइटी का जो स्तर होना चाहिए वह नहीं दिखता.
अरविंद कुमार, पीएचडी स्कॉलर, मैनिट
राष्ट्रीय महत्व के संस्थान मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) की नेशनल इंस्टीटयूशनल रैंकिंग फेमवर्क (एनआइआरएफ) रैंकिंग 80वीं है. लगातार पिछले तीन सालों में रैकिंग में 20 अंकों की गिरावट आई है. इस संबंध में संस्थान को शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार सुझाव एनआइआरएफ ने दिए थे. बावजूद इसके कोई काम नहीं हुआ.
ओबीई पर भी सवाल: आउटकम बेस्ड एजुकेशन (ओबीई) पर भी सवाल उठाए गए थे. कहा गया था कि फैकल्टी और स्टूडेंट्स दोनों को ओबीई की समझ में बहुत सुधार की आवश्यकता है. प्रोग्राम स्पेसिफिक आउट कम ठीक से परिभाषित नहीं है. 2014 में बने कोर्स आउटकम आज तक अपडेट नहीं किए.
प्लेसमेंट का डेटा उपलब्ध नहीं: एनबीए की टीम ने ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डिपार्टमेंट में भी कमियां पाई थीं. तब उचित प्लेसमेंट डेटा की अनुपलब्धता पर चिंता जतायी गयी थी. प्री-प्लेसमेंट ट्रेनिंग और ऑफिसर्स और अपॉइंटमेंट लेटर की कॉपी नहीं मिली थी. तब प्लेसमेंट के लिए और प्रयास करने की नसीहत दी गयी थी.
कब-किस स्थान पर
संस्थान की रैंकिंग गिरने के कई कारण हैं. यहां 3 साल से फैकल्टी रिक्रूटमेंट नहीं हुआ. इसके अलावा पीजी और पीएचडी स्टूडेंट्स की संख्या भी काफी कम है. हमारी पहली प्राथमिकता मैनिट की नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैंकिंग फेमवर्क (एनआइआरएफ) को ठीक करना है. रैंकिंग को ठीक करने के लिए निर्धारित रणनीति पर काम करेंगे.
केके शुक्ला, डायरेक्टर, मैनिट