मध्य प्रदेश

युवाओं की नई सोच बदल रही गांवों की तकदीर

Admin Delhi 1
26 April 2023 9:23 AM GMT
युवाओं की नई सोच बदल रही गांवों की तकदीर
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इंदौर न्यूज़: गांवों में भी विकास की नई इबारत लिखी जा रही है. बिजली, पानी और सड़क से आगे बढ़कर अब इंटरनेट, कम्प्युटराइजेशन, चिकित्सा, सुरक्षित प्रसव और 24 घंटे घरों में नलों से पानी मिलने जैसी सुविधाओं पर काम हो रहा है. यह सब युवाओं के हाथों में नगर और ग्राम पंचायतों की कमान आने से हुआ. सरपंच, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जैसे पदों पर आसीन युवा नई सोच से गांवों को नई दिशा दे रहे हैं. इससे ग्रमीण क्षेत्र में रहन-सहन बदला है तो गांव भी विकास के नए आयाम छू रहे हैं. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर बदलाव की कुछ ऐसी ही कहानियां....

चिंतामन जवासिया की लक्षिका डागर (21) प्रदेश की सबसे कम उम्र की महिला सरपंच हैं. मास कम्युनिकेशन में एमए करने के बद उज्जैन के पहले सामुदायिक रेडियो ‘दस्तक’ में रेडियो जॉकी के रूप में काम किया. पिता दिलीप डागर सहकारी बैंक में क्षेत्रीय अधिकारी हैं. दादा भी सरपंच रहे हैं. लक्षिका ने महिलाओं के लिए डिलीवरी प्वॉइंट की शुरुआत की. 24 घंटे एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध कराई. प्रावि का शुभारंभ, सडक़ मरम्मत, जल निकासी, पेजयल, सार्वजनिक शौचालय बनवाए.

महिदपुर रोड. ग्राम पंचायत बावलिया के शंभूलाल शर्मा क्षेत्र में सबसे कम उम्र के युवा सरपंच हैं. वे महज 28 साल के हैं. उन्होंने पंचायत के गांवों में सीसी रोड बनाए, स्ट्रीट लाइट लगवाई, नाली का निर्माण किया. रोज गांव में प्रभात फेरी लगाकर स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हैं. शंभूलाल 2012 से 20 तक अरनिया नजदीक गांव में अतिथि शिक्षक थे. अब वे गांव में भाईचारा और सहयोग की भावना विकसित करने पर काम कर रहे हैं.

शहडोल: छोटे विवाद गांव में ही निपट रहे, नहीं जाते थाने

पंचायती राज व्यवस्थाओं को प्रदेश में लागू पेसा एक्ट ने और मजबूती दी. गांव के विकास और जरूरतों के लिहाज से कई अधिकार ग्राम सभाओं को दिए गए हैं. इसका असर अब दिखने लगा है. अब छोटे-मोटे विवाद गांव में ही निपटा लिए जाते हैं. वहीं तेंदूपत्ता संग्रहण, बाजार बैठकी जैसे कार्यों से पंचायतों की आय भी बढ़ रही है. सोहागपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत हरदी 32 में पेसा एक्ट लागू होने के बाद ग्राम सभा से बाजार की नीलामी कर ठेके पर दिया गया. इसी तरह छिरहटी पंचायत में भी बाजार बैठकी के लिए ग्राम सभा ने 10 रुपए शुल्क तय किया. इससे पंचायतों की आय बढ़ने लगी. पेसा एक्ट के तहत जिले के सभी 669 गांवों में शांति एवं विवाद निवारण समिति का गठन हो चुका है.

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