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मध्य प्रदेश
इंदौर जिले में 615 एकड़ खेत में हो रही प्राकृतिक खेती
Bhumika Sahu
19 Aug 2022 4:08 PM GMT
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प्राकृतिक खेती
मध्यप्रदेश, हल्दी की फसल में नाइट्रोजन की कमी को दूर करने के लिए यूरिया की जगह ढैचा बोया गया। इससे न केवल रासायनिक उर्वरकों की लागत बची, बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि हुई। 15 अगस्त को सरकार ने कृषि में इसी तरह के नवाचार करने वाले 10 जिलों के किसानों को सम्मानित किया। इनमें इंदौर के सिमरोल का एक किसान भी शामिल है।
सिमरोल के जितेंद्र पाटीदार कहते हैं, 5 साल पहले जैविक खेती करना शुरू किया था। पिछले साल हल्दी की फसल में नाइट्रोजन की कमी को दूर करने के लिए यूरिया की जगह ढैंचा का पौधा लगाया गया था। यूरिया में केवल 45% नाइट्रोजन होता है, जबकि ढैंचा मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को दूर करता है।
इससे एक बीघा में 2 लाख तक की आमदनी हुई। यूरिया का इस्तेमाल होता तो जमीन खराब हो जाती। साथ ही कमाई 1 लाख 25 हजार से ज्यादा न हो। फसल तैयार होने के बाद ढैंचा जमीन में ही नष्ट हो जाता है।
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