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उज्जैन : उज्जैन जिले में गढ़कालिका मंदिर काफी प्राचीन है। ऐसे में माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग काल के समय की है। वहीं, मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा करवाया गया था, जिसका शास्त्रों में उल्लेख मिलता है। यह कवि कालिदास की उपासक देवी भी हैं। जो कि तंत्र-मंत्र की देवी के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यताओं के अनुसार, कालिका माता के प्राचीन मंदिर को गढ़कालिका के नाम से भी जाना जाता है।
दरअसल, वैसे तो गढ़कालिका का मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है। लेकिन, उज्जैन क्षेत्र में मां हरसिद्धि शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता है कि आज भी यहां कपड़े के बनाए गए नरमुंड चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही उसे प्रसाद के रूप में दशहरे के दिन नींबू बांटा जाता है। मान्यता है कि घर में ये नींबू रखने से सुख शांति बनी रहती है। इस मंदिर में तांत्रिक क्रिया के लिए कई तांत्रिक मंदिर में आते हैं। इन नौ दिनों में माता कालिका अपने भक्तों को अलग-अलग रूप मे दर्शन देती हैं।
कालिका मंदिर का निर्माण सम्राट हर्ष ने कराया
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गढ़कालिका मंदिर, गढ़ नाम के स्थान पर होने के कारण गढ़कालिका हो गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर मां के वाहन सिंह की प्रतिमा बनी हुई है। कालिका मंदिर का जीर्णोद्धार ईस्वी संवत 606 में सम्राट हर्ष ने करवाया था। वहीं, स्टेट काल में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण करावाया था।
गढ़कालिका के आर्शीवाद से कालिदास को मिला था महाकवि का दर्जा
ऐसी मान्यता है कि एक बार कालिदास पेड़ की जिस डाल पर बैठे थे उसी को काट रहे थे। इस घटना पर उनकी पत्नी विद्योत्तमा ने उन्हें फटकार लगाई, जिसके बाद कालिदास ने मां गढ़कालिका की उपासना की। वे इतना ज्ञानी हो गए कि उन्होंने कई महाकाव्यों की रचना कर दी और उन्हें महाकवि का दर्जा मिल गया। इसके अलावा कालिदास के संबंध में मान्यता है कि जब से वे इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे तभी से उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण होने लगा। बता दें कि, उज्जैन में हर साल होने वाले कालिदास समारोह के आयोजन के पहले मां कालिका की आराधना की जाती है।
मां कालिका के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
बता दें कि, उज्जैन में हर साल नवरात्रि में लगने वाले मेले के अलावा अलग-अलग मौकों पर उत्सवों और यज्ञों का आयोजन होता रहता है। जहां पर मां कालिका के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते है। वहीं, नवरात्री के मौके पर भक्तों की भीड़ और देवी दर्शन के लिए उज्जैन में नवरात्री की धूम मची हुई है। ऐसे में यहां दोनों ही नवरात्री में गढ़ कालिका मंदिर में मां के दर्शन के लिए रोजाना हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है। ऐसे में मां गढ़कालिका पर भक्तों की आस्था देखने को मिलती है।
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Tara Tandi
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