मध्य प्रदेश

नानूराम हत्याकांड: कर्जे से मुक्ति पाने के लिए हुई थी हत्या, हमशक्ल ने ही दिया था वारदात को अंजाम

Shantanu Roy
12 Feb 2022 10:49 AM GMT
नानूराम हत्याकांड: कर्जे से मुक्ति पाने के लिए हुई थी हत्या, हमशक्ल ने ही दिया था वारदात को अंजाम
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खून से सनी मिली थी लाश

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंदसौर। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में हुए नानूराम हत्याकांड का खुलासा हो गया है. जिले की नारायणगढ़ पुलिस ने इसमें चौंकाने वाली बात कही है. हत्यारे ने नानूराम को इसलिए मार दिया, क्योंकि वह उसके जैसा दिखता था. आरोपी उसे मारकर 50 लाख के कर्ज से मुक्ति पाना चाहता था. परिचित होने की वजह से मृतक आरोपी का निशाना आसानी से बन गया. पुलिस ने मुख्य आरोपी और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया है.

गौरतलब है कि नारायणगढ़ थाना इलाके के भील खेड़ी गांव के जंगल में खून से सनी लाश 4 फरवरी को मिली थी. सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची थी और इलाके की जांच की. वहां मिले साक्ष्य और मृतक के शरीर पर लगी चोट से पुलिस को पहले ही हत्या का शक हो गया. पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया था. पुलिस ने जब पोस्टमॉर्टम कराया तो मृतक की शिनाख्त लिम्बावास गांव के नानूराम गायरी के रूप में हुई थी.
इस वजह से हुई हत्या
मंदसौर एसपी अनुराग सुजानिया ने बताया कि जब मामले को लेकर आसपास पूछताछ की गई तो पता चला कि लोगों ने मृतक नानूराम को आखिरी बार भीलखेड़ी निवासी ईश्वरलाल पिता कंवर लाल गुर्जर और सुंदरलाल पिता बाबूलाल गुर्जर के साथ देखा था. इस बीच यह बात भी निकल कर सामने आई कि ईश्वरलाल पर करीब 50 लाख का कर्ज था. इसी कर्ज से मुक्ति पाने के लिए उसने हत्याकांड की योजना बनाई. इसके लिए उसे अपनी कद-काठी जैसे आदमी की तलाश थी.
पत्थर से कुचल दिया चेहरा
पुलिस ने बताया कि मृतक नानूराम ईश्वरलाल जैसा ही दिखता था. उसके दिमाग में ये बात आते ही उसने गांव के ही दोस्त सुंदरलाल को साथ में लिया. दोनों ने नानूराम को दारू पार्टी के बहाने अपने पास बुला लिया. तीनों ने सुनसान जगह पार्टी की और उसका गला घोंट दिया. हत्या के बाद पहचान छिपाने के लिए उसके चेहरे को पत्थर से कुचल दिया.
उसके बाद उसके शव को किनारे फेंका और फरार हो गए. दरअसल, आरोपी ईश्वरलाल के पास जेसीबी है और नानूराम के पास मिट्टी निकालने की मशीन थी. दोनों का काम एक जैसा था इसलिए इनकी आपस में गहरी जान-पहचान थी. इसी परिचय का फायदा उठाकर ईश्वरलाल ने नानूराम को जहां बुलाया वह वहां बिना झिझक चला गया.
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