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इंदौर न्यूज़: नगर निगम से लीज पर ली गई संपत्तियों के मालिकों के लिए सबसे बड़ा सिर दर्द उससे जुड़े कागजों का रहता है. जल्द ही इस दर्द से राहत मिल सकती है. निगम लीज संपत्तियों के दस्तावेजों को कम्प्यूटराइज्ड करने की तैयारी कर रहा है.
निगम की 600 से ज्यादा संपत्तियां लीज पर हैं. इनमें से अधिकांश होलकरकाल की हैं. दशकों पुरानी होने से कई संपत्तियों के दस्तावेज गायब हैं तो कई के दस्तावेज बेहद खराब हालत में हैं. अब सभी दस्तावेजों को स्कैन कर उनकी सॉफ्ट कॉपी तैयार की जाएगी. लीज शाखा के सभी दस्तावेजों को निगम के सॉफ्टवेयर में अपडेट किया जाएगा, ताकि लीज रेंट की वसूली के साथ लीज बढ़ाने में आसानी हो. योजना शाखा के प्रभारी राजेश उदावत ने बताया, सभी दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी तैयार करने के साथ ब्यौरा भी तैयार किया जाएगा, जिससे लीज संपत्तियों की सही जानकारी तुरंत मिल जाए.
लीज फीस बढ़ाई जाएगी.
जिन संपत्तियों की लीज खत्म हो चुकी है, उनकी लीज बढ़ाने पर लगी अस्थाई रोक हटाएंगे.
लीज शर्तों के उल्लंघन वाली संपत्तियों को कब्जे में लिया जाएगा.
संपत्तियों के दस्तावेजों की तलाश होगी.
यह हो रहा नुकसान:
संपत्तियों की लीज की स्थिति निगम को नहीं मिल पाती है, जिससे लीज रेंट की वसूली नहीं होती.
कई संपत्तियों के एक-दो कागज ही निगम के पास हैं. इसका फायदा उठाकर कई संपत्तियां बेच दी गईं.
बगैर निगम की जानकारी और लीज शर्तों का उल्लंघन कर व्यावसायिक निर्माण किया जा रहा है.