मध्य प्रदेश

MP: उमा भारती, चुनाव लड़ने की गेंद अब फेंकी केंद्रीय नेतृत्व के पाले में

Tara Tandi
4 Oct 2023 10:01 AM GMT
MP: उमा भारती, चुनाव लड़ने की गेंद अब फेंकी केंद्रीय नेतृत्व के पाले में
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पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की तेज तर्रार नेत्री उमा भारती एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले लगातार आ रहे उनके बयान पार्टी की चिंता बढ़ा रहे हैं। हाल ही में लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर करने वाली उमा ने अब गेंद केंद्रीय नेतृत्व के पाले में डाल दी है। उनका कहना है कि उनके चुनाव लड़ने की बात अब वे नहीं बल्कि केंद्रीय नेतृत्व करेगा।
उमा भारती ने एक बार में पांच सोशल मीडिया पोस्ट कर अपना बयान जारी किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मैं जो पोस्ट करती हूं उससे अधिकतम लोगों से मेरा संपर्क, कई खबरों की पुष्टि और कई खबरों का खंडन हो जाता है। 2024 का चुनाव लड़ने की बात तो मैंने 2019 में कही थी, विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा पूर्णतः निराधार थी, अब मेरे लोकसभा चुनाव लड़ने पर मैं नहीं, मेरी पार्टी बात करेगी। उमा भारती के इस बयान के सियासी गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि उमा सक्रिय राजनीति में अपनी वापसी के रास्ते तलाश रही हैं लेकिन वे खुद पार्टी से बात न कहते हुए चाहती हैं कि पार्टी उन्हें इसके लिए मनाए। ऐसे में वे बार-बार इस तरह के बयान दे रही हैं। अब केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है कि उन्हें उमा की कितनी जरूरत है और वह उमा की वापसी चाहते हैं की नहीं।
विधानसभा चुनाव प्रचार में दिखेंगी की नहीं
उमा ने आगे लिखा कि भैया दूज तक जो कि 15 नवंबर को है, चार धाम के लगभग सब कपाट बंद हो जाते हैं। मैं चार-पांच दिन पहले ही हिमालय छोड़ देती हूं। क्योंकि जो व्यक्ति कपाट बंद होने के समय वहां रहता है उसे कपाट खुलते समय भी वहां रहना चाहिए, यही नीति एवं परंपरा है। कपाट खुलते समय कई बार वहां पहुंचना मुश्किल हो जाता है। मैं बेहद खुश हूं जिंदगी की हर घड़ी सार्थक है एवं खुशियों से भरपूर है। मेरी खुशियां तो इसी से निकल रही हैं कि मैं आपके काम आती हूं। उमा के इस ट्वीट के बाद अब एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि उमा भारती एमपी विधानसभा चुनाव के प्रचार में दिखेंगी कि नहीं। हालांकि उमा का ओबीसी वर्ग में अच्छा दखल है। वे खुद लोधी समाज से आती हैं। मध्यप्रदेश में 52 फीसदी आबादी ओबीसी वर्ग से बताई जाती है। वहीं कई विधानसभा सीटों पर लोधी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसे में उमा के रोल को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।
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