मध्य प्रदेश

MP हाईकोर्ट ने सड़क पर घूमते आवारा पशुओं को लेकर सख्ती बरती

Tara Tandi
30 Aug 2024 10:26 AM GMT
MP हाईकोर्ट ने सड़क पर घूमते आवारा पशुओं को लेकर सख्ती बरती
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Gwalior ग्वालियर: सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं की भरमार और उनके द्वारा किए जाने जानलेवा हमलों और डॉग बाइट की बढ़ती संख्या को लेकर अब कोर्ट भी सख्त नजर आ रहा है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अपने न्यायिक क्षेत्र में आने वाले नौ जिलों के कलेक्टरों को इस मामले में नोटिस जारी कर चार सप्ताह में इस मामले पर जवाब मांगा है। यह नोटिस एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद देने के निर्देश दिए, जिसमें जिम्मेदार अफसरों से इस समस्या की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की गई है।
बता दें कि यह याचिका एडवोकेट अवधेश भदौरिया ने साल 2021 में दायर की थी। 22 सितंबर 2021 को इसमें नोटिस जारी हुए। लेकिन उसके बाद इसमें सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने जिम्मेदार अफसरों से साल 2021 से अब तक हुए डॉग बाइट केस की संख्या बताने की मांग की गई।इस केस की सुनवाई के दौरान याची और अन्य एडवोकेट ने कहा कि आवारा पशुओं की समस्या काफी गंभीर है, जिससे लोगों की जान खतरे में पड़ रही है।
इस पर जस्टिस आनंद पाठक ने कहा कि इस केस के दो पहलू हैं। इसमे हमें जानवरों को स्थानांतरित करने के साथ-साथ इंसानों को बचाना भी है। उन्होंने कहा, ध्यान रखें सिर्फ जानवरों को मारकर भगा देना इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। उन्हें ह्यूमन राइट नहीं है, लेकिन उन्हें राइट टू लाइफ (जीने का अधिकार) तो है। यह भी ध्यान दें कि हमने उनके आशियाने पर अतिक्रमण कर लिया है।
बता दें, आवारा पशुओं को लेकर अगर ग्वालियर की ही बात करें तो सिर्फ आठ महीने में ही यहां आवारा सांड के प्रहार से दो राहगीरों की जान जा चुकी है। 12 फरवरी को गोल पहाड़िया पर रहने वाले मुंशी सिंह कुशवाह पर सांड ने हमला कर दिया था, जिससे घायल होने के बाद उनकी मौत हो गई थी। इसी तरह शहर में आवारा डॉग का जबरदस्त आतंक है। हालात ये है कि यहां हर साल लगभग बीस हजार से ज्यादा राहगीर डॉग बाइट के शिकार होते हैं, जिनमें से अनेक की जान भी चली जाती है।
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