- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- मेड-नाली सिस्टम बचा...
मेड-नाली सिस्टम बचा सकता है कम या ज्यादा बारिश में सोयाबीन
भोपाल न्यूज़: क्षे त्र में मानसून सक्रिय होने के बाद किसान सोयाबीन की बोवनी में जुट गए हैं. यह फसल कम या बहुत अधिक बारिश या बोवनी के बाद बारिश ज्यादा लंबी खिंचने पर प्रभावित होती है. इससे सोयाबीन को बचाने मेड नालीपद्धति से बुआई करना चाहिए. जिससे बरसात के कारण होने वाले नुकसान की संभावना को कम किया जा सकता है उन्नत बुवाई प्रबंधन अपनाकर उत्पादकता में 25 से 50% तक वृद्धि की जा सकती है. मेड नाली पद्धति से बुआई मेड पर की जाती है तथा 2 मेड के बीच में 15 सेंटीमीटर गहरी नाली बनाई जाती है तथा मिट्टी को फसल की कतारों की तरफ कर दिया जाता है इस विधि से खरीफ मौसम में फसल को वर्षा के समय नमी की कमी महसूस नहीं होती और खेत में नमी की उपलब्धता ज्यादा लंबे समय तक बनी रहती है.
अच्छा होगा कि खेत के किनारे गड्ढा बनाकर अधिक वर्षा की स्थिति में नालियां द्वारा बहे वर्षा के जल का संरक्षण किया जा सके. इस संग्रहित जल का उपयोग जीवनदायी सिंचाई के रूप में किया जा सकता है यह पद्धति सोयाबीन फसल के लिए खरीफ में अतयाधिक उपयुक्त है.
डॉ. संध्या मुरे, प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र हरदा
बोवनी के दौरान इनका रखें ध्यान
बुआई के समय में ही मिट्टी की मेड बन जाती है तथा मेड के मध्य में बीज की बुवाई एक साथ होती जाती है.
साधारण सीडड्रिल द्वारा समतल बुवाई करने के बाद कतारों के बीच देसी हल चलाकर नाली का निर्माण किया जा सकता है.
बुवाई के बाद एवं अंकुरण के बाद नाली को अंत में मिट्टी के द्वारा बांध दिया जाता है.
जिससे वर्षा के पानी का भूमि में अधिक से अधिक संरक्षण होगा.
मिट्टी जांच के लिए इनका रखें ध्यान
बुवाई मेड़ों पर होने के कारण अति वर्षा अथवा तेज हवा में पौधे के गिरने की संभावना कम होती है आलू प्लांटर, डीडब्ल्यू आर प्लांट, सीड ड्रिल में साधरण सुधार कर अथवा रिजर जैसे कृषि यंत्रों से बुआई मेड़ों पर करना संभव है, दोनों मेडों के बीच नाली हो जाती है, बैल एवं सीड ड्रिल में टाइन के पीछे एक पट्टी अथवा लोहे की पट्टी लगाकर बुवाई की जा सकती है.