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10 साल गांव में पढ़ाना अनिवार्य, स्कूल शिक्षा विभाग की नई ट्रांसफर नीति को सैद्धांतिक मंजूरी
न्यूज़क्रेडिट; अमरउजाला
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग की नई ट्रांसफर पॉलिसी को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। नई नीति के लागू होने पर शिक्षक को अपने सेवाकाल में कम से कम 10 साल गांव के स्कूल में ड्यूटी करनी होगी।
मध्यप्रदेश सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग के लिए नई ट्रांसफर नीति को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। इसके तहत शिक्षकों को अपने सेवाकाल में कम से कम दस वर्ष ग्रामीण इलाकों के स्कूल में पढ़ाना होगा। इसके साथ ही ऑनलाइन आवेदन पोर्टल पर देना होगा। प्रशासनिक स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जाएगी और उसके बाद ही स्वैच्छिक स्थानांतरण पर विचार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें स्कूल शिक्षा विभाग की नई ट्रांसफर नीति के साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। कैबिनेट में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि कैबिनेट ने स्कूल शिक्षा विभाग की 2023-24 में प्रभावी नई ट्रांसफर पॉलिसी को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इसमें सभी संवर्ग के लिए स्थान और प्रक्रिया 31 मार्च से 15 मई के बीच पूरी की जाएगी। हालांकि, अभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्कूल शिक्षा मंत्री को व्यवहारिक पक्ष देखने को कहा है। इस नीति के तहत ट्रांसफर के लिए पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य होगा।
स्कूल शिक्षा विभाग की नई ट्रांसफर नीति की मुख्य बातें
नवीन नियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में कम से कम तीन वर्ष और अपने संपूर्ण सेवाकाल में कम से कम दस वर्ष कार्य करना होगा।
10 वर्ष से अधिक एक ही संस्था में पदस्थ शहरी क्षेत्र के शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में रिक्त पदों पर पदस्थ किया जाएगा।
ऐसे शिक्षक जिनकी कम से कम तीन वर्ष की सेवा बची है या गंभीर बीमारी से पीड़ित है, उन्हें इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाएगा।
स्थानांतरण में वरीयता क्रम निर्धारित किया जाएगा। शिक्षकों को निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की निजी ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा।
स्वैच्छिक स्थानांतरण भी ऑनलाइन ही होंगे।
उत्कृष्ट स्कूल, मॉडल स्कूल, सीएम राइज स्कूल में स्वैच्छिक स्थानांतरण नहीं होंगे।
प्राचार्य, सहायक संचालक और वरिष्ठ पदों के स्वैच्छिक स्थानांतरण ऑनलाइन लिए जाएंगे। उनका निराकरण ऑफलाइन भी किया जा सकेगा।
रिलीव करने और जॉइन करने की कार्रवाई ऑनलाइन होंगी।
स्वैच्छिक स्थानांतरण होने पर विशेष परिस्थिति को छोड़कर तीन वर्ष तक ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई शाला शिक्षकविहीन न रह जाए।
प्रथम श्रेणी अधिकारियों के ट्रांसफर करने के लिए मुख्यमंत्री का अनुमोदन आवश्यक होगा।
प्रदेश के जिन स्कूलों में रिजल्ट ठीक नहीं आएगा, वहां के शिक्षकों का ट्रांसफर होगा। लंबे समय से शहर के स्कूलों में जमे शिक्षकों को गांव भेजा जाएगा।
नक्सल प्रभावित इलाकों के पुलिस बल के लिए विशेष भत्ता
कैबिनेट ने नक्सल प्रभावित बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जिले में तैनात नक्सलविरोधी दस्ते और हॉक फोर्स के पुलिसकर्मियों को विशेष भत्ता मंजूर किया है। इसके तहत अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ अन्य पुलिस अधिकारियों को विशेष भत्ता मिलेगा। इसके साथ ही कैबिनेट में लोक परिसंपत्तियों के निवर्तन को मंजूरी प्रदान की गई है।
होम-स्टे योजना में दी जाएगी सब्सिडी
पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे योजना में सब्सिडी दी जाएगी। जनजातियों के लिए राजभवन में सचिवालय के लिए कर्मचारियों की स्वीकृति दी गई। गौपालन के लिए अनुदान दिया जाएगा। इस योजना के क्रियान्यवन के लिए राशि भी स्वीकृत की गई है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी योजना को मंजूरी दी गई है। इसके तहत प्रत्येक जिले से 100 गांव का चयन किया जाएगा। 26 हजार किसानों को गौपालन के लिए प्रतिमाह नौ सौ रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इसमें किसानों के रजिस्ट्रेशन के साथ ही उनका प्रशिक्षण भी शामिल होगा।