मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश: व्यापमं घोटाले में वनरक्षक भर्ती परीक्षा में दो अभ्यर्थी सहित तीन दोषी करार

Deepa Sahu
28 March 2022 10:58 AM GMT
मध्य प्रदेश: व्यापमं घोटाले में वनरक्षक भर्ती परीक्षा में दो अभ्यर्थी सहित तीन दोषी करार
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मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले में आज सीबीआई की विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश नीतिराज सिंह सिसोदिया ने वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में एक फैसला सुनाया है।

मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले में आज सीबीआई की विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश नीतिराज सिंह सिसोदिया ने वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में एक फैसला सुनाया है। इसमें दो अभ्यर्थियों और उनमें से एक अभ्यर्थी के एवज में परीक्षा देने वाले व्यक्ति को अदालत ने दोषी करार दिया है। इस मामले में आज फैसला हुआ है और शाम को सजा सुनाई जाएगी।

सीबीआई की ओर से इस प्रकरण में सतीश दिनकर विशेष लोक अभियोजक सीबीआई के द्वारा पैरवी की गई। विवेचना एसटीएफ के उप पुलिस अधीक्षक अरुण कश्यप एवं सीबीआई के निरीक्षक अनुज कुमार द्वारा की गई थी। एसटीएफ को छद्म नामों से शिकायतें प्राप्त हुई कि 15 अप्रैल 2012 को आयोजित मध्य प्रदेश वन रक्षक भर्ती परीक्षा में देवेंद्र कुमार जाटव द्वारा अनुचित तरीके से परीक्षा पास कर चयन हुआ है। शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए थाना एसटीएफ में देवेंद्र कुमार जाटव के संबंध में वन विभाग सतपुड़ा भोपाल एवं व्यापम भोपाल से जानकारी प्राप्त की। संदेही देवेंद्र कुमार को तलब कर नमूना लिखावट व निशानी अंगूठा की जांच कराई गई। इसी तरह उक्त परीक्षा में पास होने वाले अभ्यार्थी पदम सिंह खरे के संबंध में भी जांच पर पाया गया कि दोनों आरोपी अवैध तरीके से वनरक्षक के पद पर भर्ती हुए हैं।

रिंकू की मौत से देवेंद्र की परीक्षा देने वाले का खुलासा नहीं हुआ
देवेंद्र जाटव के अवैध चयन कराने के लिए मध्यस्थ ब्रजमोहन गौड एवं शिव कुमार यादव के साथ षड़यंत्र करने पर विवेचना की गई। अभ्यर्थी के बदले दूसरे व्यक्तियों को बैठाने की भी जांच हुई जिसमें रिंकू शर्मा से संपर्क किया था। मगर मामला दर्ज होने के तीन दिन पहले रिंकू शर्मा द्वारा आत्महत्या कर लेने के कारण देवेंद्र जाटव के एवज में परीक्षा देने वाले का नाम सामने नहीं आ सका। किंतु हस्तलिपि विशेषज्ञ एवं निशानी अंगूठा पर विशेषज्ञ अभिमत से यह साबित हो गया कि देवेन्द्र जाटव के स्थान पर अन्य व्यक्ति ने परीक्षा दी थी। पद्मसिंह और उसकी परीक्षा देने वाले आनंद दोषी साबित
अनुसंधान में यह भी पाया गया कि पद्म सिंह खरीदने अपने चाचा विक्रम सिंह खैरे के साथ मिलकर मध्यस्थ योगेंद्र यादव, वासुदेव चंदेल, कुंवर इंद्रासन उर्फ इंद्रेश सिंह अनुज यादव के साथ मिलकर पद्म सिंह खरे के स्थान पर आनंद सागर से संपर्क कर परीक्षा दिलवाई गई।

अदालत ने तीन को पाया दोषी
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने प्रकरण के निर्णय पारित करते समय दोनों पक्षों के गुण-दोष पर विचार करते हुए तीन लोगों को दोषी पाया। इनमें देवेंद्र कुमार जाटव, पद्मसिंह खरे और आनंद सागर शामिल हैं। इन्हें धारा 419 420 467 468 471 सपठित धारा 120 बी भादवि और मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा 3डी 1-2/4 में दोषी पाया है। प्रकरण में सात अन्य आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया।
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