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मध्य प्रदेश
मध्य-प्रदेश: प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट, सरकार को मिला अंतिम अवसर
Kajal Dubey
11 July 2022 3:22 PM GMT
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ऑटो रिक्शा चालकों द्वारा नियमों का पालन नहीं करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गयी थीं। याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा को याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि कार्रवाई संबंधित कागजी रिपोर्ट पेश कर न्यायालय को गुमराह किया जा रहा है। यातायात के सुधार के लिए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट 2019 प्रदेश सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया है। युगलपीठ ने सरकार को कार्रवाई के लिए अंतिम अवसर देते हुए अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है।
सतना बिल्डिंग निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से दायर याचिकाओं में बताया गया कि शहर की सड़कों पर चलने वाले कुछ ऑटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। ऐसे ऑटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है। सवारी बैठाने के लिए ऑटो चालक बीच सड़क में कभी भी वाहन रोक देते हैं। ऐसे ऑटो संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था इंदौर में 10 हजार तथा भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं। ऑटो संचालन के विनिथामक प्रावधान के तहत अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित की गई है। ऑटो में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम अनिवार्य होगा जो परिवहन विभाग के सेन्द्रल इंट्रीग्रेशन से लिंक होगा। इसके अलावा परमिट, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारियों तथा चालकों के कर्तव्य व आचारण भी निर्धारित किए गए हैं। प्रदेश भर में दस साल पुराने ऑटो-डीजल ऑटो को परमिट जारी नहीं किया जाएगा। ऐसे ऑटो रिक्शा को सीएनजी में प्रतिस्थापित किया जाएगा।
याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में उपस्थित हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई थी। युगलपीठ ने तल्ख शब्दों में कहा था कि पुलिस व ट्रांसपोर्ट विभाग कार्रवाई नहीं कर सकते तो न्यायालय किसी दूसरी एजेन्सी को नियुक्त कर दे। न्यायालय लापरवाही पर बरतने पर उन्हें कार्यमुक्त भी कर सकते हैं। युगलपीठ ने ओपन कोर्ट में कहा कि अधिकारी न्यायालय के आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते हैं इसलिए उक्त याचिका साल 2013 से लंबित है। युगलपीठ ने चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार की तरफ से कहा गया था कि संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट 2019 प्रदेश में 45 दिनों के अंदर लागू कर दिया जाएगा। इसके अलावा बिना परमिट चल रही ऑटो को जब्त किया जाएगा।
सोमवार को सुनवाई के दौरान सरकार तरफ से कम्प्लाइंस रिपोर्ट पेश की गई। याचिकाकर्ता ने युगलपीठ को बताया कि वोट बैंक के कारण सिर्फ दिखावे की कार्रवाई की जाती है। संशोधित नियम में भारी जुर्मान को प्रावधान है। जिससे पूरे प्रदेश के ट्रैफिक में सुधार आ सकता है। प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक उसे लागू नहीं किया गया। कार्रवाई के संबंध में सिर्फ कागजी रिपोर्ट पेश कर न्यायालय को गुमराह किया जा रहा है। वास्तविकता में हालात जस के तस बने हुए हैं और सड़कों में ऑटो की धमाचौकडी जारी है। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता सतीश वर्मा तथा अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की।
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