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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | राहत की बात है क केरल में मानसून आ गया है, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में प्रवेश कर लिया है। हालांकि इसमें आठ दिन की देरी हो गई। मध्यप्रदेश में भी इस बार करीब पंद्रह दिन से देरी से मानसून पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि अच्छी बात ये है कि मानसून इस बार सामान्य से अधिक बरसना बताया जा रहा है। बता दें कि मध्यप्रदेश में सामान्यत: 16 जून तक मानसून पहुंच जाता है। लेकिन इस बार थोड़ी देरी होगी। बताया जा रहा है कि केरल से करीब दस दिन बाद मानसून मुंबई पहुंचता है, फिर उसके आठ दिन बाद मध्यप्रदेश में प्रवेश करता है। गुरुवार को मानसून ने केरल में दस्तक दी है, इस हिसाब से जून के अंतिम सप्ताह में मानसून प्रदेश में असर दिखाने लगेगा।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जीडी मिश्रा ने बताया कि सही समय को देखें तो 15-16 जून तक मप्र में मानसून आ जाता है। इस हिसाब से पैटर्न चल रहा है, उसे देखकर 22 जून के बाद ही मप्र में इसकी एंट्री होगी। मौसम विभाग ने जिस प्रकार से अनुमान जताया है, उसे देखें तो जुलाई-अगस्त में अच्छी बारिश की संभावना है। मानसून का सामान्य आंकड़ा इस बार पार होने के आसार है।
वहीं मौसम जानकार पीके साहा ने बताया कि मध्यप्रदेश में 22 से 25 जून के बाद ही मानसून प्रवेश करेगा। मानसून सामान्य रहेगा। ईस्ट एमपी में थोड़ा ज्यादा रहेगा, वहीं वेस्टर्न मप्र में सामान्य तक पानी गिर सकता है। बीच-बीच में वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण जो बारिश हो रही थी, उससे मानसून पर कोई खास असर नहीं रहेगा।
अलग-अलग स्थानों पर बनी मौसम प्रणालियों के असर से प्रदेश हवाओं के साथ नमी आ रही है। इस वह से आंशिक बादल बने हुए हैं। कहीं-कहीं हल्की वर्षा भी हो रही है। वातावरण में नमी रहने के कारण उमस भी बढ़ रही है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ हिमाचल पर हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात के रूप में बना हुआ है। दक्षिण-पश्चिम राजस्थान पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात मौजूद है। इन दो मौसम प्रणालियों के अलावा वर्तमान में हवा का रुख पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी बना हुआ है। हवाओं के साथ लगातार नमी आ रही है। इस वजह से प्रदेश के अधिकतर जिलों में आंशिक बादल बने हुए हैं।