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मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश अपना 'टाइगर स्टेट' का दर्जा खो सकता है पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत
Pushpa Bilaspur
11 Nov 2021 4:29 PM GMT
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मध्यप्रदेश अपना 'टाइगर स्टेट' का दर्जा खो सकता है पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत
भोपाल। देश में सबसे अधिक बाघों वाला मध्यप्रदेश अपना 'टाइगर स्टेट' का दर्जा खो सकता है। करीब एक साल में कुल 36 बाघों की मौत हो चुकी है। पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बाघिन की मौत ने सभी की चिंता बढ़ा दी है। खास बात यह भी है को वो गर्भवती थी। इसकी मौत के पीछे वायरस या शिकार की आशंका बताई जा रही है।
2018 के मुताबिक मध्यप्रदेश में 526 बाघों के साथ देश में नंबर एक पर रहा। कर्नाटक 524 बाघों के सात दूसरे नंबर पर, उत्तराखंड 442 बाघों के साथ देश में तीसरे नंबर पर था। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे कहते हैं कि मध्यप्रदेश जब टाइगर स्टेट बना, तब कर्नाटक महज दो टाइगर पीछे था। हालांकि इसे पीछे नहीं मानेंगे, क्योंकि जब टाइगर की गणना होती है तो उसे संभावित माना जाता है, एक्यूरेट नहीं कहा जाता है।
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे (wildlife expert) ने बताया कि देश में बाघों की मौत के मामले में 2014-15 से लगातार नंबर वन चल रहे हैं। पूरे देश में 110 बाघों की मौत हुई, जिसमें मध्यप्रदेश के आंकड़े 36 हैं, जो एक चौथाई हैं। कर्नाटक में 2021 में कुल 25 बाघ मरे, जबकि मध्यप्रदेश में 36 बाघ खत्म हो गए।
टाइगर प्रोटेक्शन में पीछे है मध्यप्रदेश
अजय दुबे के मुताबिक मध्यप्रदेश टाइगर प्रोटेक्शन में कर्नाटक मध्यप्रदेश से काफी आगे है, इसलिए वहां कम बाघ मरे हैं। कर्नाटक ने बाघों के लिए सुरक्षा लेयर को मजबूत बना रखा है। वहां शिकार के कम प्रकरण दर्ज होते हैं, वहां शिकारियों में खौफ बना रहता है। कर्नाटक की स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की बेहतर रणनीति के साथ काम करती है। जबकि मध्यप्रदेश में ऐसी कोई फोर्स नहीं है। यहां बनाने का विचार मात्र ही है।
बीमारी या शिकार की आशंका
दुबे के मुताबिक पन्ना में हाल ही में जो बाघिन की मौत हुई है, उसे फारेस्ट ने 'नेचरल डेथ' बताया गया है। जबकि पन्ना में सीवीडी नामक बीमारी पाई जाती है। इसके वायरल के कारण भी डेथ होना संभावित है। जबकि बाघिन के कंधे पर घाव था और उस पर कीड़े पड़ गए थे, इससे शिकार से भी इनकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि बफर एरिया में उसका शव मिला है, जहां टाइगर कोर से बाहर निकला तो वो मानवीय गतिविधियों के करीब पहुंच जाता है।
लापरवाही भी है पिछली बार की तरह इस बार भी कॉलर आइडी वाली बाघिन की मौत हुई है, जो लापरवाही उजागर करती है। क्योंकि जब चार घंटे तक बाघ नेटवर्क से बाहर निकल जाता है तो उसे फालो करना होता है। इस बाघिन का शव 18 दिनों बाद मिला है।
एक नजर
बांधवगढ़ नेशनल पार्क 10 बाघ
कान्हा नेशनल पार्क में 5 बाघ
पेंच नेशनल पार्क 4
पन्ना नेशनल पार्क 2
अन्य जंगलों में 15 बाघ
प्रदेश के टाइगर रिजर्वों में मौत-20
टाइगर रिजर्वों से बाहर मौत-15
अब तक बाघों की मौत- 36
देश में कुल बाघों की मौत-110
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