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वामदलों को बिहार में दो दशक का सूखा खत्म होने का इंतजार
पटना: वामदलों को बिहार में दो दशक का सूखा खत्म होने का इंतजार है. 1999 के बाद हुए चुनावों में बिहार से वामदलों का कोई प्रत्याशी संसद नहीं पहुंचा. इस बार सियासी फिजा अलग है. अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरने वाले वामदल राजद-कांग्रेस के साथ एकजुट हैं. इस कारण वामदलों को उम्मीद है कि 20 का चुनाव उनकी झोली जरूर भरेगा.
एक वक्त था जब वामदलों की उपस्थिति राज्य के हर इलाके में थी. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी हर सीट पर मुकाबले में रहती थी. भाकपा छह बार जहानाबाद, बेगूसराय-बलिया और मधुबनी के मतदाताओं की पसंद रही. नालंदा, पटना के साथ पूरा मगध, मोतिहारी, शाहाबाद की राजनीतिक भूमि भी पार्टी के लिए काफी उर्वर रही. बेगूसराय तो बिहार का लेनिनग्राद ही कहा जाता था. सुनील मुखर्जी, जगन्नाथ सरकार, इंद्रजीत सिन्हा, चंद्रशेखर सिंह, योगेंद्र शर्मा, भोगेंद्र झा, चतुरानन मिश्र, रामअवतार शास्त्रत्त्ी, राजकुमार पूर्वे, अंबिका प्रसाद, विजय यादव, रामाश्रय प्रसाद, शत्रुघ्न प्रसाद सिंह जैसे नेताओं ने वाम की विचारधारा को बिहार में मजबूत किया.
पार्टी के विभाजन और कुछ राजनीतिक समीकरण में बदलाव के बाद उसकी स्थिति कमजोर हुई. पार्टी ने 1970-75 के दशक में कांग्रेस के साथ समझौता भी किया. फिर भाकपा ने 2014 में जदयू के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा. तब भी सफलता नहीं मिली. 1967 में भाकपा से टूटकर बनी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का भी भागलपुर, नवादा, समस्तीपुर, सारण, मधुबनी जैसे इलाकों में अच्छा प्रभाव रहा. नवादा से दो बार और भागलपुर से एक बार पार्टी प्रत्याशी जीते. प्रेमप्रदीप दो बार नवादा से सांसद बने. 1999 में अंतिम बार भागलपुर से सुबोध राय सांसद बने थे. भाकपा माले ने हाल के दिनों में बिहार में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. 1989 के लोकसभा चुनाव में आईपीएफ के बैनर तले आरा संसदीय सीट से रामेश्वर प्रसाद चुनाव जीते थे. तब भाकपा माले सीधे तौर पर संसदीय राजनीति में नहीं उतरी थी. उसके बाद माले ने सीवान, आरा, जहानाबाद, काराकाट समेत कई अन्य सीटों पर चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली. 2015 से वामदलों का तीनों धड़ा महागठबंधन के साथ है. राजद-कांग्रेस के साथ तालमेल कर चुनाव मैदान में है. भाकपा ने बेगूसराय और माकपा ने खगड़िया से प्रत्याशी घोषित कर दिया है. माले से राजद की बातचीत भी अंतिम चरण में है. तीनों वाम दल फिर से अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं