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मकान मालिक किराए पर देकर भूल जाते हैं, बाद में रहवासी मुसीबत झेलते हैं
इंदौर न्यूज़: इंदौर शहर जैसे-जैसे एजुकेशन हब की ओर बढ़ता जा रहा है वैसे ही यहां कमरे किराए से देने और हॉस्टल खोलने जैसे व्यवसाय भी फलने-फूलने लगे हैं, जो अब परेशानियों का सबब भी बनते जा रहे हैं. जिन इलाकों में हॉस्टल और कमरों का चलन बढ़ा है वहां के रहवासियों को आए दिन परेशानियों सामना करना पड़ रहा हैं. बाहरी लोगों का जमावड़ा, आए दिन युवक-युवतियों में विवाद, छेड़छाड़ जैसी घटनाएं यहां होती रहती हैं. रहवासी आपत्ति लेते हैं तो हॉस्टल में रहने वाले युवा विवाद करने पहुंच जाते हैं. कलेक्टोरेट जनसुनवाई से लेकर थानों तक शिकायत पहुंचती है, लेकिन हल कुछ नहीं निकलता. इसी तरह शहर में चार हजार से ज्यादा हॉस्टल संचालित हो रहे हैं, लेकिन निगम के रिकॉर्ड में सिर्फ पांच सौ ही हैं. सरकार आज तक हॉस्टल के लिए कोई गाइडलाइन नहीं बना पाई है.
बता दें कि शहर में भंवरकुआं, छोगालाल उस्ताद मार्ग, विष्णुपुरी, इंद्रपुरी, नौलखा जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में हॉस्टल हैं. यहां ढाई हजार से लेकर चार हजार रुपए तक में कमरा मिल जाता है. इस कमरे में दो से तीन छात्र रहते हैं जिससे हॉस्टल संचालकों को अच्छी आय हो जाती है. कई हॉस्टल ऐसे हैं जहां छोटे-छोटे कमरों में कई छात्र रहते हैं.
जानकारी के मुताबिक, शहर में बड़ी संख्या में गर्ल्स हॉस्टल भी हैं, लेकिन इनके हाल भी ज्यादा अच्छे नहीं हैं. छात्राएं सही तरीके से रहेंगी, हंगामा नहीं करेंगी यह सोचकर लोग गर्ल्स हॉस्टल शुरू करते हैं, लेकिन दूसरे छात्र और आपराधिक तत्व इन हॉस्टलों के आसपास मंडराते रहते हैं. इन्हें रोकने पर ये हॉस्टल संचालकों और आसपास के लोगों से विवाद करते हैं. भंवरकुआं क्षेत्र में रहने वाले हेमंत ने बताया कि इस क्षेत्र में काफी ज्यादा हॉस्टल हैं. इनके मालिक भी केवल छात्रों के फोटो और आधार नंबर की जानकारी थाने में देकर निश्चिंत हो जाते हैं. अगर पुलिस होटलों की तरह हॉस्टलों की भी आकस्मिक चेकिंग करे या छात्रों द्वारा दिए गए स्थायी पते और फोन नंबर की जानकारी निकाले तो हंगामा और बदमाशी करने वाले हॉस्टलर्स में डर रहेगा. इसके अलावा क्षेत्र अन्य रहवासियों का कहना है कि भंवरकुआं इलाके में बगैर अनुमति के हॉस्टल खोल लिए गए हैं. यहां रहने वाले युवा नशा कर आपस में लड़ना, देर रात तक तेज आवाज में म्यूजिक बजाते हैं. इन पर रोक लगाना जरूरी है. अकेले भंवरकुआं इलाके में एक हजार से अधिक हॉस्टल है. इनमें आधे से अधिक अवैध हैं. भंवरकुआं क्षेत्र में हॉस्टलर्स की संख्या बढ़ने से नशाखोरी भी बढ़ गई है. हॉस्टल संचालक भी इसे कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं. रहवासियों की सबसे बड़ी परेशानी भी नशाखोरी ही है. आए दिन छात्र रात में सड़कों पर शराब की बोतलें फेंक देते हैं. कई बार तो छात्राओं द्वारा भी देर रात को उत्पात मचाने की खबरें आती रहती हैं. इन पर रोक लगनी चाहिए.