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भोपाल न्यूज़: शबरी माता की जन्म जयंती के अवसर पर कोल जनजाति महाकुंभ प्रदेश सरकार के लिए आदिवासियों के दिलों तक पहुंचने का रास्ता माना जा रहा है. यह न केवल विन्ध्य के आदिवासियों पर सरकार का भरोसा कायम करेगा, बल्कि बहुसंख्यक कोल समाज को एक संदेश देने की भी कोशिश होगी.
दरअसल, यूपी और एमपी की सीमा पर चित्रकूट से कुछ दूरी पर शबरी जलप्रपात है. माना जाता है कि वनवासी राम ने यहां कुछ समय के लिए विश्राम किया था. यहीं से उन्हें शबरी की जानकारी मिली थी. आगे जाकर मुलाकात हुई थी. शबरी को कोल और भील समुदाय अराध्य देवी की तरह पूजता है.
ऐसा है ताना-बाना: प्रदेश में कोल जनजाति की सर्वाधिक आबादी सतना, रीवा, सीधी और सिंगरौली जिले में है. वोटिंग प्रतिशत औसतन 73 रहता है. ऐसे में सामाजिक ताने-बाने के जरिए राजनीतिक समीकरण साधने यह आयोजन कई मायनों में अहम माना जा रहा है. सरकार भी विंध्य को लेकर सजग नजर आ रही है. गतिविधियों से स्पष्ट हो रहा कि इस बार विंध्य में धर्मध्वजा के जरिए राजनीतिक पताका फहराई जानी है.