मध्य प्रदेश

जानिए पिप्पलाद ऋषि के मंदिर का रहस्य: भगवान शिव की तपस्या से जुड़ी अद्धभुत कहानी

Manish Sahu
4 Aug 2023 6:59 PM GMT
जानिए पिप्पलाद ऋषि के मंदिर का रहस्य: भगवान शिव की तपस्या से जुड़ी अद्धभुत कहानी
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मध्यप्रदेश: नर्मदा नदी के किनारे विशाल पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन महत्वपूर्ण श्री पीपलेश्वर महादेव का मंदिर बसा हुआ है. यहाँ की रौंगते खेलते तरंगों में बसे इस मंदिर में श्रावण महीने के समय दूर-दूर से आने वाले भक्त शिव के दर्शन के लिए आते हैं. गांव के प्राचीन रहवासियों के अनुसार, ऋषि पिप्पलाद ने इसी धरती पर तप किया था और इसे अपनी तपोभूमि माना था. मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग की पूजा की विशेष महत्वपूर्णता है, और यह शिवलिंग भी ऋषि पिप्पलाद की ओर से स्थापित किया गया था. मध्य-प्रदेश के खरगोन जिले के मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर, पीपल्या बुजुर्ग से सिर्फ 7 किलोमीटर की दूरी पर, पिटामली गांव में यह विशेष मंदिर स्थित है. यहाँ की मान्यता है कि यहां हर एक मनोकामना सच्चे मन से मांगी जाती है, वह पूरी होती है. इस मंदिर में कई वर्षों से अखंड ज्योति भी प्रज्वलित रहती है, जिसका अर्थ आत्मा के निरंतर उजाले का प्रतीक है.
मंदिर के पास ही एक गुफा स्थित है, जिसका प्रवेश वर्ष 1994 में बंद कर दिया गया है. गांव के आदरणीय देवराम बाबा की व्यक्तिगत रिपोर्ट के अनुसार, जब गुफा खुला थी, तो उन्होंने भी इसे ढूंढ़ना शुरू किया था, लेकिन वे गुफा के अंदर ज्यादा दूर तक नहीं जा सके. गांव के परंपरागत किस्सेवाले बताते हैं कि पिप्पलाद ऋषि ने इसी जगह पर भगवान शिव की तपस्या की थी. पिप्पलाद ऋषि ने शनिदेव को एक श्राप दिया था, जिसके कारण 12 वर्ष की आयु तक के बच्चों पर शनि का प्रभाव नहीं पड़ता है.
देवराम बाबा के अनुसार, ऋषि पिप्पलाद ने वही स्थान पर तपस्या की थी जिसका उल्लेख नर्मदा पुराण और नर्मदा अष्टक में भी मिलता है. वे बताते हैं कि ऋषि पिप्पलाद बेगबल ऋषि और उनकी बहन सुवर्णा की संतान थे. देवराम बाबा का कहना है कि उन्होंने नर्मदा पुराण में पढ़ा था कि बेगबल ऋषि को स्वप्न दोष हुआ था. नर्मदा पुराण और नर्मदा अष्टक में पिप्पलाद ऋषि के उपनिषदीय महत्व के संदेश का स्पष्ट उल्लेख किया जाता है, जिससे उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और आध्यात्मिक योगदान का पता चलता है. देवराम बाबा के ओर से साझा किए गए ज्ञान और कथाएँ इस धार्मिक स्थल की महत्वपूर्ण विशेषताओं को स्पष्ट करती हैं.
देवराम बाबा के अनुसार, पिप्पलाद ऋषि ने अपनी लंगोट को झोपड़ी पर रख दिया था. एक दिन महावारी के दौरान, उनकी बहन सुवर्णा ने उसी लंगोट का उपयोग कर लिया. जब यह बात बेगबल को पता लगी, तो उन्होंने सुवर्णा से कहा कि तुमने अनर्थ कर दिया है. अब जब भी तुम्हें संतान हो, तो उसे किसी पीपल के पेड़ के नीचे जन्म देना, जहां कोई देखे नहीं, और फिर वापस आ जाना. बेगबल के कहने के अनुसार, जब बच्चे का जन्म हुआ, बहन सुवर्णा उसे एक पीपल के पेड़ के नीचे छोड़कर चली गई. इस कारणवश, उनका नाम पिप्पलाद ऋषि पड़ा.
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