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कितनी फीस जानिए सबकुछ कैसे और कौन कराता है सेना भर्ती की तैयारी
केंद्र सरकार की सेना में भर्ती की 'अग्निपथ योजना' पर देशभर में बवाल मचा हुआ है। मध्यप्रदेश के युवा भी नाराज हैं। जबकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अग्निवीर को पुलिस भर्ती में प्राथमिकता देने की घोषणा कर चुके हैं। इस पर युवाओं का कहना है कि प्रदेश में 2017 से आरक्षक और पुलिस सब इंस्पेक्टर की भर्ती नहीं हो सकी है।
ग्वालियर में हिंसा भड़काने के पीछे कोचिंग संचालकों की भूमिका भी सामने आ रही है। भारतीय सेना में एंट्री लेवल होने पर भर्ती के लिए युवा कोचिंग क्लासेस भी जॉइन करते हैं। हालांकि, इनकी संख्या कम ही होती है। अन्य सरकारी नौकरी की भर्ती की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों की अपेक्षा सेना के लिए भर्ती परीक्षा की तैयारी कराने वाले संस्थानों की संख्या भी कम है। ऐसे कोचिंग संस्थानों की संख्या ग्वालियर-चंबल एरिया में सबसे ज्यादा है। आइए, जानते हैं कि इन कोचिंग संस्थानों की भूमिका क्या होती है...
सेना में भर्ती के लिए कोचिंग संस्थान क्या तैयारी कराते हैं?
कोचिंग संस्थान दावा तो रिटन एग्जाम के साथ फिजिकली ट्रेंड कराने का भी करते हैं, लेकिन इनके पास फिजिकली ट्रेंड कराने की सुविधा नहीं होती, जबकि सेना में फिजिकल टेस्ट सबसे अहम होता है।
कितनी फीस लेते हैं?
एंट्री लेवल के पद के लिए कोचिंग संचालक 8 हजार से 20 हजार रुपए तक सालाना फीस लेते हैं।
कितने समय तक तैयारी कराते हैं
कोचिंग क्लासेस 6 महीने तक तैयारी कराते हैं। अगले 6 महीने रिवीजन कराते हैं। यानी एक साल तक तैयारी करवाते हैं। इसके लिए सभी अलग-अलग फीस लेते हैं।
फिजिकल टेस्ट की तैयारी कैसे?
ज्यादातर कोचिंग संचालक किसी भी सेना से रिटायर्ड लोग नहीं हैं। वे स्टूडेंट्स को फिजिकली फिट रखने की ट्रेनिंग के लिए पहचान के फिजिकल ट्रेनर के पास भेज देते हैं। इसके लिए स्टूडेंट्स को 500 रुपए से एक हजार रुपए मंथली एक्सट्रा चार्ज देना होता है।
किस तरह होती है सेना में भर्ती
देशभर में होने वाली सभी सेना भर्ती रैली में सबसे ज्यादा उम्मीदवार आर्मी जीडी में भाग लेते हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा आवेदन सामान्य ड्यूटी के लिए आते हैं। फिजिकल और मेडिकल के बाद रिटन एग्जाम होता है। इसमें 100 अंक के 50 प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें सामान्य ज्ञान, सामान्य विज्ञान, गणित और तार्किक विचार के प्रश्न पूछे जाते हैं।
क्या कहा था CM शिवराज ने
CM शिवराज सिंह चौहान ने कहा था- 'ऐसे जवान जो अग्निपथ योजना में सेवाएं दे चुके होंगे, उन्हें मध्यप्रदेश पुलिस की भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी। अग्निपथ योजना युवाओं को सेना से जोड़ेगी। 45 हजार नौकरियां पैदा करेगी।
इसलिए भड़के हैं युवा
4 साल की तैयारी के बाद 4 साल की नौकरी और फिर बेरोजगारी।
कोरोना के नाम पर देश में भर्ती रैलियां नहीं हुईं, लेकिन इसी दौरान बंगाल, UP, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा जैसे राज्यों बड़ी चुनावी रैलियां भी हुईं और चुनाव भी।
फिजिकल और मेडिकल के बावजूद कम से कम 10 रैलियों को अधूरा छोड़ दिया गया, अब उन्हें रद्द कर दिया गया है।
अग्निवीरों के बैच और चिह्न समेत रैंक भी अलग होगी। युवाओं को डर है कि इससे भेदभाव बढ़ेगा।
जिन 25% अग्निवीरों को आगे 15 साल के लिए चुना जाएगा, उसका भी कोई साफ पारदर्शी तरीका नहीं।
क्या है अग्निपथ योजना?
पिछले सोमवार को केंद्र सरकार ने सेना भर्ती के लिए नई नीति अग्निपथ का ऐलान किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि थल सेना, वायु सेना और जल सेना ने फैसला किया है कि नॉन कमीशन रैंक की भर्तियां अग्निपथ योजना के तहत की जाएंगी यानी सिपाही सेलर या एयर मैन बनने के लिए अग्निपथ पर चलकर अग्निवीर बनना होगा।
बता दें कि योजना के तहत सैनिकों की भर्ती 4 साल के लिए की जाएगी। चार साल की नौकरी के बाद ही वे परमानेंट सेटलमेंट के लिए आगे बढ़ पाएंगे। भर्ती अग्निवीरों के 25 फीसदी ही सैनिकों को स्थाई सेवा देने का मौका मिलेगा। बाकी अग्निवीर नौकरी से बाहर हो जाएंगे, जिनके पुनर्वास के लिए भी सरकार रोडमैप बना रही है।
MP में क्यों भड़का है युवा
युवाओं का कहना है कि प्रदेश में 2017 से आरक्षक और पुलिस सब इंस्पेक्टर की भर्ती नहीं हो सकी है। वर्तमान में करीब 6 हजार पदों के लिए भर्ती की जा रही है, लेकिन यह भर्ती भी पूरी नहीं हो सकी है। कई युवा भर्ती की तैयारी करते-करते ओवरएज हो गए। वहीं, सब इंस्पेक्टर की भर्ती पर अघोषित रोक लगी है।