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नए रंग-रूप में नजर आएगी केईएम, यहां फिर से पढ़ाई जाएंगी मेडिकल की किताबें
इंदौर न्यूज़: शहर की ऐतिहासिक इमारत अब जल्द नए रंग-रूप में नजर आएगी. जिस इमारत से अंग्रेजों ने पश्चिम भारत में एलोपैथिक चिकित्सा शिक्षा की नींव रखी थी, अब वहां डॉक्टर्स पढ़ाई करेंगे. इसे संवारने का जिम्मा एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने लिया है.
किंग एडवर्ड मेडिकल स्कूल (केईएम) का निर्माण 145 वर्ष पूर्व किया गया था. यह विरासत अब खंडहर का रूप ले चुकी है. कभी यहां चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई होती थी, लेकिन एक सदी बाद महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद इसकी दुर्दशा शुरू हो गई. इस इमारत को संवारने के लिए कई बार योजनाएं तो बनीं, लेकिन फाइलों से बाहर नहीं निकलीं. वक्त के साथ ही विरासत और फाइलों पर अनदेखी की धूल बढ़ती गई. अब जाकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इस ऐतिहासिक इमारत में लाइब्रेरी खोलने का निर्णय लिया है.
केईएम भवन हमारी विरासत है. यह देश के सबसे पुराने मेडिकल स्कूलों में से एक था. हम जल्द इसके मूल स्वरूप को संवारने का काम शुरू करेंगे. साथ ही यहां एक पुस्तकालय शुरू करने की योजना है. इमारत के एक हिस्से को संग्रहालय के रूप में भी विकसित कर सकते हैं. हमारा मुख्य उद्देश्य इमारत को बनाए रखना और संरक्षित करना है.- डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज
एक करोड़ रुपए होंगे खर्च: इस इमारत का नवीनीकरण कर लाइब्रेरी में बदलने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है. 19वीं शताब्दी की इस विरासत का रंगरोगन करने के लिए डीपीआर तैयार की गई है. साथ ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा इसे संरक्षित करने के लिए एक करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है.
यह है इमारत का इतिहास
केईएम स्कूल की स्थापना 1848 में हुई थी और महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज की इसके लगभग एक सदी बाद वर्ष 1953 में अस्तित्व में आया था. केईएम स्कूल फ्रेंच गॉथिक शैली की वास्तुकला का एक उदाहरण है और यह शहर के युवाओं के बीच ’हॉगवर्ट्स’ के नाम से भी प्रसिद्ध है.