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सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में बर्न यूनिट के लीकेज को ठीक करने में लगा एक साल
इंदौर: सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में पहली बार एंडोस्कोपिक मायोटॉमी (पीओईएम) किया गया। तीन मरीजों का इस तकनीक से इलाज किया गया। पेट रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि अभी तक इसका पारंपरिक रूप से इलाज किया जाता रहा है। नई तकनीक में भोजन नली की दीवार की पहली और तीसरी परत के बीच की जगह में प्रवेश करते हुए मांसपेशियों को काटा गया।
इसमें मरीज को एनेस्थीसिया देना पड़ता है। इसमें एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है। खास बात यह है कि इस प्रोसिजर के बाद मरीज को 24 घंटे में दूध पिलाना शुरू करने के साथ अगले दिन छुट्टी दी जा सकती है। मध्य भारत में यह पहला अस्पताल है, जहां इस तकनीक से मरीजों का इलाज किया गया।
अब 60 फीसदी मरीजों की जान बचाई जा सकेगी: तल मंजिल पर आठ बेड का आईसीयू और दो अत्याधुनिक ओटी हैं, जो एक साल से लीकेज के कारण बंद थे। इनमें हिटिंग वेंटीलेशन और एयर कंडीशनिंग, आर्टिरियल ब्लड प्रेशर के लिए अत्याधुनिक मॉनीटर, हेपा फिल्टर लगे हैं, ताकि बैक्टीरिया फ्री हवा आए। बर्न के केस में 30% मरीजों को बचा पाते हैं, जबकि समय पर बेहतर उपचार मिले तो 60% तक मरीजों की जान बचाई जा सकती है।