मध्य प्रदेश

देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए पंरतु बंद नही हो सकी गौहत्याएं: Muralidhar Ji Maharaj

Gulabi Jagat
14 Sep 2024 5:19 PM GMT
देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए पंरतु बंद नही हो सकी गौहत्याएं: Muralidhar Ji Maharaj
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Raisen रायसेन । दशहरा मैदान पर चल रही श्री रामकथा के आयोजन में दिनोदिन राम रस की बरसात हो रही है चतुर्थ दिवस शनिवार को प्रसिद्ध रामकथा वाचक पं मुरलीधर जी महाराज ने भगवान राम लक्ष्मण ,भरत,शत्रुघन के नाम करण की कथा विस्तार के भक्तो को बताई महाराज जी ने कहा कि भगवान राम लक्ष्मण,और शत्रुधन के जीवन चरित्र से बहुत कुछ सीखा जा सकता है रामजी का जन्म तो निश्चरो का विनाश करने के लिए ही हुआ। रामकथा के दौरान महाराज ने गौ माता के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज के दौर में गौ माता के साथ अत्याचार हो रहा है गौ हत्याएं लगतार बढ़ रही है जबकि हमारे देश को आजाद हुए ७५ वर्ष बीत गए है इसके बावजूद भी गौ हत्याएं बंद नही हुई है यह बहुत चिंता का विषय है आप लोगो को बड़े नेताओ से भी गौ हत्या बंद करने की मांग करना चाहिए अगर इसी प्रकार की स्थिति बनी रही तो एक दिन ऐसा आएगा इस भूमि पर गौ माताएं नही दिखेगी सिर्फ फोटो में ही लोग गौ माता देखेगें ।महाराज ने कहा कि रामकथा भक्तो को भक्ति की ओर ले जाती है और भागवत कथा मुक्ति की ओर ले जाती है उन्होने कहा कि मनुष्य अपने आप में योग्य बनकर रामजी का गुणगान करे तो उसे किसी से आर्शीवार्द लेने की जरूरत नही है परमात्मा तो भक्त का भाव समझता है वैसे ही वह आप की समस्या हल कर देगा सिर्फ आपको लगन के साथ भक्ति करने की जरूरत है,
सेवा भाव त्या
ग और सर्मपण से आपका कल्याण हो सकता है कभी भी किसी से कुछ अपेक्षा मत रखो सिर्फ भगवान से अपेक्षा रखो वह आपकी मनोकामना अवश्य पूरी करेंगें । राम कथा वाचन के दौरान महाराज ने कैकयी,सुमंत्रा प्रसंग को भी भक्तो को विस्तार से बताया उन्होने कहा कि गोस्वामी जी ने कहा है कि जाके प्रिय न राम वैदेही अर्थात जिसके मन में राम के प्रति प्रेम नही उसे कुछ नही मिलता इसलिए उठते बैठते सोते और जागते हुए रामनाम का स्मरण करते रहना चाहिए इसमें ही आपका कल्याण हो जाएगा ।
पं मुरलीधर जी महाराज ने गुरू विश्वामित्र,वशिष्ठ जी और भगवान राम के चरित्र विस्तार से प्रकाश डालते हुए भक्तो को ज्ञान का मार्ग बताया जिस समय गुरू विश्वामित्र राजा दशरथ से अपने पुत्र राम और लक्ष्मण मांगने पंहुचे तो राजा दशरथ भी राम,लक्ष्मण की मांग पूरी करने में असमर्थ दिखे तब जाकर गुरू वश्ष्टि के समझाने पर राजा दशरथ अपने पुत्र राम लक्ष्मण को गुरू विश्वामित्र के साथ भेजने के लिए तैयार हुए इस मार्मिक प्रसंग की आकर्षक प्रस्तुति को सुनकर पंडाल में बैठे भक्तो के आंशु झलक उठे।राम जी के प्रेम भाव को जानना हे तो भरत जी का चरित्र आपको पढऩा होगा तब जाकर आपको पता चलेगा की भाई भाई में इस प्रकार का प्रेम होता है कथा के बीच महाराज जी के भजन आशा एक राम की तो दूजी आशा छोड़ दे,नाता एक रामजी से दूजे नाते तोड़ दे इस भजन पर झूमने को मजबूर हो गए इस प्रकार से महाराज जी ने राम कथा के दौरान श्री रामचरित्र मानस पर आधारित मनमोहक प्रसंगो की कथा भक्तो को सुनाई जिसे सुनकर पंडाल में बैठे हजारो भक्त भाव विभोर हो गए।
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