मध्य प्रदेश

सिर्फ नाम का इंटर स्टेट बस टर्मिनल, दूसरे राज्यों से अब आती है सिर्फ एक बस

Admin Delhi 1
22 Dec 2022 9:51 AM GMT
सिर्फ नाम का इंटर स्टेट बस टर्मिनल, दूसरे राज्यों से अब आती है सिर्फ एक बस
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भोपाल न्यूज़: बस स्टैंड पर यात्रियों को इंटरस्टेट सुविधा के मामले में आईएसबीटी केवल नाम ही रह गया है. महाराष्ट्र से सिर्फ एक बस यहां आती है. इसका दायरा प्रदेश के कुछ जिलों तक सीमित होकर रह गया है. हर रोज करीब पांच हजार यात्री यहां से रवाना होते हैं.

इंटर स्टेट बस टर्मिनल सहित राजधानी में चार बस स्टैंड हैं. यात्रियों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने करीब 12 साल पहले आईएसबीटी का निर्माण हुआ. यह देश के चार बस स्टैंड में से एक था. वर्तमान में बस संचालन की स्थिति बिगड़ गई थी. व्यवस्था निजी ऑपरेटरों के हाथ है. जिसका नतीजा है कि इंटर स्टेट के नाम पर यहां केवल एक बस है जो अमरावती महाराष्ट्र से आती है. बाकी किसी भी प्रदेश की बसें स्टैंड पर नहीं आ रही हैं. यात्री न मिलने से दूसरे राज्य से बसों ने आना बंद कर दिया है.

शहर में किसी भी प्रदेश में आने जाने की कोई सुविधा नहीं है. सड़क परिवहन निगम के दौरान दूसरे राज्यों में बसों का संचालन होता था. अब सड़क परिवहन निगम ही खत्म हो चुका है. निजी ऑपरेटर के भरोसे पूरी व्यवस्था है.

श्याम सुंदर शर्मा, सेवानिवृत्त कर्मचारी सड़क परिवहन निगम

निजी ऑपरेटर कर रहे संचालन:

हलालपुरा स्टैंड पर आती हैं राजस्थान की 4 बसें

शहर में राजस्थान की बसें आती हैं. हलालपुरा बस स्टैंड से इनकी आवाजाही होती है. बीच में इनका संचालन बंद हो गया था. अब कुछ निजी ऑपरेटरों के भरोसे इंटर स्टेट की सुविधा रह गई थी. सड़क परिवहन निगम खत्म होने के कारण भी इस तरह की स्थिति बनी है.

2010 में 40 करोड़ की लागत से हुआ था निर्माण:

कुशाभाउ ठाकरे बस टर्मिनल का निर्माण 2010 में किया गया था. करीब चालीस करोड़ रुपए इस पर खर्च आया था. योजना के तहत यहां से पांच राज्यों में यात्रियों को जाने की सुविधा मुहैया कराई जानी थी. लेकिन यह कुछ राज्यों तक ही सीमित होकर रह गया. यहां से न तो किसी राज्य में बसें रवाना होती हैं न ही वहां से आ रही है.

ट्रेन रूट जिन जगह पर नहीं है वहां बस ही एकमात्र सहारा है. भोपाल से कई राज्यों में बसें नहीं जाती है. हाल में अहमदाबाद के लिए बुकिंग की थी. बसें बदल कर जाना पड़ा.

विवेक चौहान, एग्जिक्यूटिव

मामले में जिम्मेदार अधिकारियों ने कुछ कहने से मना कर दिया.

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