मध्य प्रदेश

मप्र में मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिलाओं का अपमान : कमलनाथ

Rani Sahu
2 July 2023 5:41 PM GMT
मप्र में मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिलाओं का अपमान : कमलनाथ
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भोपाल (आईएएनएस)। कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिलाओं का अपमान करने का आरोप लगाया है। राजधानी के भेल दशहरा मैदान में महिला स्व-सहायता समूह के सम्मेलन में कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में 18 वर्ष की भारतीय जनता पार्टी सरकार में मध्याह्न भोजन बनाने वाली महिलाओं के साथ अन्याय ही नहीं, अपमान भी हुआ है।
कमलनाथ ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा, ''मैं आपको रसोइया कहना नहीं चाहता। आप भोजन बनाती हैं और बच्चों की देखभाल करती हैं, इस तरह आप समाजसेविका हैं और प्रदेश के भविष्य का निर्माण करती हैं। आप लोगों की बात मैंने ध्यान से सुनी। आपने कहा कि मानदेय उचित नहीं मिलता, सिलेंडर नहीं मिलता और अन्य समस्याएं हैं। मैं हर चीज के विस्तार में नहीं जाता, लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर आपके साथ हो रहे अन्याय को समाप्त कर दिया जाएगा और आपके साथ न्याय किया जाएगा। मुझे यह जानकर आश्चर्य होता है कि आप इतने वर्ष से यह अपमान और अन्याय किस तरह से सह रहे हैं।''
उन्‍होंने कहा, ''मध्य प्रदेश में एक करोड़ से अधिक नौजवान बेरोजगार हैं। मुख्यमंत्री रोजगार और नौकरी देने का वादा करते हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि जो संविदा कर्मी और अतिथि शिक्षक पहले से काम कर रहे हैं, आप उन्हीं को रोजगार दे दो, वही बड़ी बात होगी। मेरी सरकार को काम करने के लिए सिर्फ 15 महीने मिले, मैंने और हमारी सरकार ने नीति और नीयत का परिचय दिया। 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया, 1000 गौशाला का निर्माण कराया, 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली दी और भी विकास के कार्य किए।''
कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान सरकार में 18 साल में 22 हजार घोषणाएं हुई हैं। शिवराज चुनाव आते देखकर घोषणा-मशीन बन गए हैं और अब यह घोषणा मशीन झूठ की मशीन में बदल गई है। 18 साल की सरकार में किसान परेशान हैं, नौजवान परेशान हैं, महिलाएं परेशान हैं, बेरोजगारी चरम पर है। भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है। प्रदेश में 'पैसा दो, काम लो' की नीति चल रही है। शिवराज सरकार ने प्रदेश के ऊपर 330000 करोड रुपये का क़र्ज़ चढ़ा दिया है। इस कर्ज का इस्तेमाल बेरोजगारों को नौकरी देने में या महिलाओं का मानदेय बढ़ाने में नहीं किया जा रहा है, बल्कि ठेका और कमीशन में किया जा रहा है।
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