मध्य प्रदेश

खेत में हल के लिए बैल की जगह महिलाएं, बच्चे भी मजदूरी करने को मजबूर, जाने कहां है ऐसे हालत?

jantaserishta.com
12 July 2021 7:06 AM GMT
खेत में हल के लिए बैल की जगह महिलाएं, बच्चे भी मजदूरी करने को मजबूर, जाने कहां है ऐसे हालत?
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भारत में महिलाओं का संघर्ष किसी से छुपा हुआ नहीं है. महिला त्याग समर्पण के लिए जानी जाती है लेकिन हद तो तब हो जाती है जब गरीबी के चलते महिलाओं को बैल के स्थान पर हल और बख्खर के आगे जुतना पड़ता है. मध्य प्रदेश से सामने आई ऐसी ही एक तस्वीर यह सवाल करती है कि आखिर महिलाओं की ऐसी हालत के लिए कौन जिम्मेदार है?

मध्यप्रदेश के आगर-मालवा में बैलों की जगह महिलाओं ने ले ली (Women Replace Bulls In Fields) है. उन्हें खेत की जुताई के लिए हल में बैल की जगह रहना पड़ रहा है. मोदी सरकार ने एक तरफ अपने मंत्रिमंडल में 1-2 नहीं बल्कि 11 महिलाओं को मंत्री बनाया है तो दूसरी तरफ खेतों में महिलाएं बैलों की जगह अपने हाथों में कृषि उपकरण लेकर बुआई, छंटाई का काम करने को मजबूर हैं.
बहुत गरीब होने की वजह से आगर-मालवा के इस परिवार के पास इतने पैसे नहीं हैं कि बैल खरीद सकें, ऐसे में महिलाओं को खुद ही बैल की जगह लेनी पड़ी. दो वक्त की रोटी कमाने के लिए ये महिलाएं खेतों में हल-बख्खर और कल्पे चलाने को मजबूर हैं. ये महिलाएं अपनी 3 बीघा जमीन में अंकुरित हुई सोयाबीन की फसल में उगने वाले खरपतवार को नष्ट करने के लिए कल्पा चला रही हैं.
इतना ही नहीं, इनके दो बच्चे हैं जिनके हाथों में किताबें होनी चाहिए थीं, लेकिन हालात से मजबूर ये बच्चे भी अपनी मां का हाथ बटाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. महिलाओं की मानें तो उनके यहां ना तो बैल है, ना ही इतने पैसे कि बैल खरीद सकें. ऊपर से यह भी चिंता है कि जो फसल बोई है कहीं वो भी नष्ट न हो जाए.
बैल की जगह महिलाओं के काम करने की यह तस्वीर जितनी भयावह है उतनी ही सरकारी सिस्टम के लिए चुनौती भी है. बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार और उनकी योजनाएं कैसे सरकारी ऑफिसों की फाइलों में रह जाती हैं और कैसे गरीब महिलाएं हालात से मजबूर होकर बैल की जगह ले लेती हैं, ये तस्वीर इसका जीता-जागता उदाहरण है.

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