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Indore: 85 किसानों को 24 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा राशि मिलेगी
इंदौर: तमाम प्रोजेक्टों को लेकर किसानों का विरोध निरंतर जारी है। इंदौर-बुधनी रेलवे लाइन से लेकर नए बायपास, इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर, लॉजिस्टिक पार्क के अलावा प्राधिकरण द्वारा घोषित अहिल्या पथ का भी विरोध किया जा रह ा है। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कुछ फैसले भी किसानों के हक में आए, जिसके चलते बढ़ी हुई मुआवजा राशि देने के निर्णय भी अब राज्य सरकार को लेना पड़ रहे हैं। ऐसा ही मामला पीथमपुर के मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क का है, जिसमें ग्राम जामोदी के लगभग 85 किसानों को अब 24 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अंतर की राशि दी जाएगी। पूर्व में मंजूर की गई मुआवजा राशि के अतिरिक्त यह राशि प्राप्त हो रही है। इस निर्णय को भी किसानों ने अपनी जीत बताया और कहा कि अब प्रदेश सरकार इसी तरह अन्य प्रोजेक्टों के लिए भी स्पेशल पैकेज घोषित करे।
पिछले दिनों मोहन सरकार की केबिनेट ने पीथमपुर के लॉजिस्टिक पार्क के संबंध में स्पेशल पैकेज घोषित किया, जिसमें कलेक्टर गाइडलाइन कम होने के कारण मुआवजा राशि भी कम बनी। लिहाजा अब किसानों को बांटे गए मुआवजे के अंतर की राशि को विशेष पैकेज के जरिए पूरा किया जाएगा। लगभग 31 करोड़ रुपए की राशि इस तरह ग्राम जामोदी के किसानों को मिलेगी। लगभग 55 जमीन मालिकों को 63 हेक्टेयर जमीन के बदले 31 करोड़ रुपए की और अतिरिक्त मुआवजा राशि अंतर राशि के रूप में प्राप्त होगी। इसमें से 50 फीसदी राशि राज्य सरकार और शेष केन्द्र से मिलेगी, क्योंकि मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का केन्द्र सरकार की भारत माला परियोजना के तहत किया जा रहा है।
दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि लॉजिस्टिक पार्क के संबंध में जिस तरह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले किसानों के हक में आए हैं ऐसे किसानों का नागरिक अभिनंदन भी किया जाएगा। किसान नेता हंसराज मंडलोई का कहना है कि लॉजिस्टिक पार्क से प्रभावित किसानों के हक में पहले सुप्रीम कोर्ट का भी फैसला आया, जिसके चलते शासन को स्पेशल पैकेज मंजूर करना पड़ा, तो अभी तीन दिन पहले इन्हीं किसानों के पक्ष में हाईकोर्ट का भी फैसला हुआ है। इससे पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों के किसान भी खुश हैं। श्री मंडलोई का कहना है कि जामोदी, जो कि एक छोटा-सा गांव है, जहां की आबादी बमुश्किल 400 लोगों की है, मगर इस छोटे से गांव ने अपनी जमीन बचाने के लिए जो कानूनी और मैदानी लड़ाई लड़ी वह पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के लिए भी एक उदाहरण है। दूसरी तरफ किसानों ने अपनी जमीन पर कब्जा भी नहीं होने दिया। उनके छोटे बच्चे, माँ-बहनें बुलडोजर के आगे लेट गई और नतीजतन अधिकारियों को खेतों में इधर-उधर दौड़-भागकर उल्टे पांव लौटना भी पड़ा।
इस स्पेशल पैकेज के तहत किसान नेताओं ने सभी प्रोजेक्टों के लिए भी इसी तरह की मांग प्रदेश शासन से की है और इंदौर-बुधनी रेल लाइन, आउटर रिंग रोड, इकोनॉमिक कॉरिडोर, अहिल्या पथ सहित अन्य तमाम योजनाओं को लेकर संघर्ष करने वाले किसानों का नागरिक अभिनंदन भी किया जाएगा। अभी पिछले दिनों ही नेशनल हाईवे से लेकर अन्य विभागों के अधिकारियों को किसानों ने तीखा विरोध कर उल्टे पांव लौटने पर मजबूर कर दिया और इनकी-पत्नी-बच्चे सहित परिवार के लोग बुलडोजर के साथ-साथ अधिकारियों की गाड़ी के आगे लेट गए कि वे अपनी जान दे देंगे, मगर अपने बाप-दादाओं की जमीन कब्जे में नहीं जाने देंगे। पिछले दिनों प्राधिकरण ने अहिल्या पथ योजना घोषित की, जिसके लिए 5 टीपीएस योजनाएं तैयार की गई है और नैनोद, रिजलाय, जम्बुड़ी हब्सी, पालाखेड़ी, लिम्बोदागारी, भौंरासला, रेवती और बरदरी गांवों की लगभग 1170 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जा रही है और इन जमीनों पर अभिन्यास मंजूरी भी रोक दी और योजना से बाहर की जमीनों के लिए एनओसी जारी कर दी है, ताकि अभिन्यास मंजूर हो सकें।