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इंदौर: स्थानीय स्तर पर एमपीआईडीसी (MPIDC) ने इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के जमीन मालिकों द्वारा दायर किए दावे और आपत्तियों का निराकरण कर दिया है। मगर इस निर्णय के खिलाफ 450 से अधिक अपील जमीन मालिकों द्वारा अपीली प्राधिकारी भोपाल के समक्ष दायर की गई है, जिनकी सुनवाई अब 4 और 5 अक्टूबर को रखी गई है। एमपीआईडीसी के भोपाल मुख्यालय में यह सुनवाई होगी। 17 गांवों की लगभग 3200 एकड़ जमीनों को इस कॉरिडोर में शामिल किया गया है और पिछले दिनों त्रुटिवश ग्राम भैंसलाय के कुछ खसरा नम्बर जो छूट गए थे उसे भी प्रारुप योजना में शामिल कर लिया है। 20 किलोमीटर लम्बाई में बनने वाला यह कॉरिडोर 75 मीटर चौड़ा होगा और इसी से प्राधिकरण का घोषित अहिल्या पथ जुड़ेगा।
एक तरफ किसानों द्वारा लगातार जमीन अधिग्रहण का विरोध किया जा रहा है जिसमें यह इकोनॉमिक कॉरिडोर भी शामिल है। हालांकि मुआवजे के लिए तीन विकल्प तय किए गए हैं, जिनमें से किसी एक का चयन शासन स्तर पर होना है। पिछले दिनों एमपीआईडीसी ने 859 आपत्तियों का निराकरण कर दिया था और फिर उसके बाद 15 दिन की समय सीमा अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने का दिया गया, जिसमें लगभग 450 अपीलें भोपाल मुख्यालय पहुंची है। उज्जैन के साथ इंदौर का भी प्रभार फिलहाल राजेश राठौर के पास ही है। उन्होंने बताया कि 4 और 5 अक्टूबर को भोपाल में अरेरा हिल्स स्थित दफ्तर में यह सुनवाई होगी।
पहले दिन यानी 4 अक्टूबर को सोनवाय और भैंसलाय के जमीन मालिकों की सुनवाई होगी, तो अगले दिन 5 अक्टूबर को कोर्डियाबर्डी, नैनोद, रिजलाय, बिसनावदा, नावदा पंथ, श्रीराम तलावली (कचरा), सिंदौड़ा (तलावली कचरा), सिंदौड़ी, शिवखेड़ा/रंगवासा-2, नरलाय, मोकलाय, देहरी, बगोदा, टीही और धन्नड़ के जमीन मालिकों की अपीलों की सुनवाई की जाना है। उल्लेखनीय है कि इस इकोनॉमिक कॉरिडोर में कुल 17 गांवों की जमीनें शामिल की गई है। इस कॉरिडोर का एक सिरा इंदौर के नैनोद से, तो दूसरा सिरा धन्नड़ ड्राय पोर्ट से जुड़ेगा। कॉरिडोर के दोनों तरफ 300-300 मीटर दायरे में आने वाली जमीनें ली गई हैं। मुआवजे का फॉर्मूला क्या होगा इसका अंतिम निर्णय शासन स्तर पर ही होना है। संभवत: अपीलों की सुनवाई में भी यह मुद्दा उठेगा और जमीन मालिकों के समक्ष तीनों विकल्प रखे जा सकते हैं और उनमें से अधिक सहमति जिस विकल्प पर बनेगी उसे अमल में लाया जा सकता है। पहला विकल्प तो 100 फीसदी नकद मुआवजे का रहेगा, जिसमें नए कानून के मुताबिक 2 गुना तक मुआवजा दिया जा सकता है। वहीं दूसरे विकल्प के रूप में लैंड पुलिंग एक्ट के तहत 50-50 फीसदी का फॉर्मूला रहेगा। यानी आधी जमीन 50 फीसदी उसके मालिक को वापस लौटा दी जाती है, जिस तरह प्राधिकरण अपनी टीपीएस योजनाओं में इसी फॉर्मूले के तहत निजी जमीनें हासिल कर रहा है। तीसरा विकल्प 90 और 10 प्रतिशत का है।