मध्य प्रदेश

जनजातीय फूड और जड़ी-बूटी मेले में तीस हजार से अधिक प्रजातियों का देसी नुस्खा

Admin Delhi 1
17 Feb 2023 12:02 PM GMT
जनजातीय फूड और जड़ी-बूटी मेले में तीस हजार से अधिक प्रजातियों का देसी नुस्खा
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इंदौर न्यूज़: लालबाग में चल रहे जनजातीय फूड फेस्टिवल और जड़ी-बूटी मेले में विभिन्न रोगों का उपचार करने में सक्षम एक से बढ़कर जड़ी-बूटियां लोगों की दिलचस्पी का केंद्र बनी हुई हैं. ऐसी ही एक जड़ी-बूटी पलास पापड़ा के बारे में बताया गया कि सिर्फ एक रुपए में यह झाई को गायब कर देती है. नारायण मानव उत्थान समिति एवं भारतीय विपणन विकास केंद्र एवं मेला संयोजक पुष्पेंद्र चौहान एवं बलराम वर्मा ने बताया कि मेले में शहडोल से आए और जड़ी-बूटी के एक स्टॉल के संचालक शेख मोहम्मद आमिर ने बताया कि पलास पापड़ा को पानी या गुलाब जल के साथ घिसकर और उसका पेस्ट बनाकर 10-15 मिनट के लिए चेहरे पर लगाया जाता है. कुछ दिन यह नियमित करने से झाई बिलकुल गायब हो जाती है.

आमिर कहते हैं कि इसे आप चमत्कारी फेस पैक भी कह सकते हैं. उनके मुताबिक इसी तरह शंख पुष्पी के प्रयोग से मिर्गी की बीमारी से मुक्ति मिल जाती है. इसी तरह कुटजछाल नामक जड़ी-बूटी शुगर, कोलेस्ट्रॉल और अन्य रोगों की रोकथाम के नियंत्रण में बहुत कारगर होती है. खेत में पाई जाने वाली गोरखमुंडी आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ नजर के चश्मे से मुक्ति दिला सकती है. मलहम-ए-शिफा ऐसी जड़ी-बूटियों से बनाया गया है जो सभी चर्म रोग दूर कर देता है.

बैतूल से आए रामचरण सेर्णिकर ने बताया, जंगलों में पाई जाने वाली बीजासार नाम की लकड़ी को रात को पानी में डालकर रखने और सुबह उस पानी को पीने से अनेक बीमारियों में फायदा होता है. इस लकड़ी का एक टुकड़ा सिर्फ 10 रुपए का है. इसी प्रकार उनके स्टॉल पर मिलने वाला ऑर्गेनिक गुड़ पाचन और पेट रोगों में खूब लाभकारी है और इसकी कीमत है 50 रुपए किलो. पचमढ़ी के जंगलों में मिलने वाला अम्बर ब्रास शरीर की चर्बी, मोटापा, बीपी, कोलेस्ट्रॉल और थायराइड आदि में काफी फायदेमंद होता है. इसका भाव है 400 रुपए तोला और इसे सुबह खाली पेट और रात को भोजन के बाद आधा चम्मच पानी के साथ लेना होता है. इसी प्रकार एक है कुलंजन. यह पान की जड़ होती है. यह स्वाद में बहुत तीखी होती है, इसलिए इसे शहद के साथ लेना होता है. खास बात यह कि दावा किया गया कि इससे तुतलाने और हकलाने की समस्या खत्म हो जाती है और आवाज में मधुरता आती है, यही नहीं, बल्कि जटामासी, कलौंजी, नीम गिलोय, निर्गुण्डी, गोरखमुंडी आदि अलग-अलग नाम की हजारों तरह की दुर्लभ जड़ी-बूटियां इस मेले में मौजूद हैं, जो लोगों की दिलचस्पी और आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.

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