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प्रचार के दौरान थोक संदेश भेजा तो चुनाव खर्च में जुडे़गा हिसाब
कटिहार: इलेक्शन कैंपेन के दौरान एक साथ काफी संख्या में (बल्क) मैसेज भेजना चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा. जिस उम्मीदवार के प्रचार-प्रसार को लेकर बल्क मैसेज का इस्तेमाल किया जाएगा, उसके चुनाव खर्च में बल्क मैसेज का भी हिसाब जोड़ा जाएगा. इसको लेकर चुनाव आयोग ने भागलपुर सहित सभी जिलों के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है. बल्क मैसेज पर रिटर्निंग ऑफिसर यानी जिले के डीएम नजर रखेंगे और उसकी रिपोर्ट मुख्य चुनाव अधिकारी को देंगे. चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि चुनाव के अन्य खर्च की तरह ही बल्क मैसेज का भी एक पार्ट बनाया जाएगा.
मतदान से दो दिन पहले राजनीतिक प्रकृति के मैसेज पर रोक: एक तरफ जहां चुनाव अभियान के दौरान बल्क मैसेज करने पर उसका हिसाब उम्मीदवार के चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा, वहीं दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने यह भी साफ कर दिया है कि मतदान से दो दिन यानी 48 घंटे पहले से ही राजनीतिक प्रकृति के मैसेज पर रोक रहेगी. जैसे मतदान खत्म होने का समय अगर शाम पांच बजे है तो उससे दो दिन पहले ही शाम पांच बजे से राजनीतिक प्रकृति के मैसेज के आदान-प्रदान पर रोक लग जाएगी. अगर उसके बाद भी कोई इस तरह के मैसेज भेजता है तो उसे चिन्हित कर कार्रवाई करने को कहा गया है. चुनाव आयोग ने संवेदनशील और कानूनी पक्ष को लेकर मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर को भी ब्रीफ करने को कहा है, ताकि आगे होने वाली कार्रवाई की जानकारी उन्हें भी मिलती रहे.
सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी
चुनाव के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने को लेकर सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखने का निर्देश चुनाव आयोग ने दिया है. आयोग ने कहा है कि सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक पोस्ट, मैसेज और वीडियो डालने वाले को तुरंत चिह्नित कर उनके विरुद्ध कानूनी की जाए. शांति व्यवस्था को भंग करने के साथ ही आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का भी मामला अगर सोशल मीडिया पर दिखे तो त्वरित कार्रवाई की जाए. इसके लिए जिलों के साइबर सेल को सक्रिय रखने और वहां पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति करने का भी निर्देश आयोग ने दिया है. डीआईजी विवेकानंद ने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देश का पूरी तरह से पालन किया जाएगा और निर्देशित बिंदुओं पर पुलिस उचित कार्रवाई करेगी.