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मध्य प्रदेश
हाईकोर्ट ने दिया आदेश, सड़क पर जमे अवैध कब्जे और अतिक्रमण को जल्द हटाएं
Shantanu Roy
15 Jun 2022 9:50 AM GMT
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बड़ी खबर
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद नगर निगम और जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि मासूम का बाड़ा की सड़क पर जमे अवैध कब्जे और अतिक्रमण हटाने नियमानुसार कार्रवाई करें। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने इसके लिए 12 सप्ताह की मोहलत दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच करें और यदि अवैध कब्जे पाए जाते हैं तो नियमानुसार उन्हें हटाने की कार्रवाई करें। नेपियर टाउन जबलपुर निवासी अधिवक्ता शाहरुख जाफरी की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई थी।
अधिवक्ता तीर्थराज पिल्लई ने कोर्ट को बताया था कि नेपियर टाउन क्षेत्र स्थित मासूम का बाड़ा में 12 फुट की रोड बनवाई गई थी। लेकिन क्षेत्र के ही कुछ लोगों ने इस मार्ग पर अतिक्रमण कर निर्माण तक कर लिए हैं। हालात ये हैं कि यह सड़क अब महज पांच फीट चौड़ी ही बची है। इसके चलते स्थानीय लोगों को बेहद परेशानी उठानी पड़ रही है। लोगों का आवागमन मुश्किल हो गया है। इस मामले को लेकर कई बार नगर निगम व प्रशासन के अफसरों से शिकायत की गई। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूर्व में हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पर कोर्ट ने अभ्यावेदन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। फिर भी सड़क पर अतिक्रमण जस का तस बरकरार हैं। इसलिए दोबारा हाई कोर्ट की शरण ली गई।
1255 पदों पर भर्ती के मामले में तलब किया जवाब
हाई कोर्ट ने जिला अदालतों में 1255 पदों पर की जा रही भर्तियों के मामले में जवाब-तलब कर लिया है।मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने इस सिलसिले में रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 20 जून काे निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, प्रशांत चौरसिया,परमानंद साहू व राजेन्द्र चौधरी ने पैरवी में सहयाेग किया। दलील दी गई कि इस मामले में पूर्व में भी याचिकाएं दायर की गई थीं, जिन पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जिला अदालतों में हो रही भर्तियों को विचाराधीन याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है।
इस मामले में पांच प्रमुख त्रुटियां की गई हैं, जिनके आधार पर संपूर्ण भर्ती दोषपूर्ण हो गई है। हाई कोर्ट ने विभिन्न पदों के लिए जो विज्ञापन निकाला है, उसमें गंभीर त्रुटि की गई है। मसलन, किस वर्ग को किस नियम के तहत कितना आरक्षण दिया जाएगा, इसका उल्लेख नहीं किया गया है। यही नहीं हाई कोर्ट या मध्य प्रदेश शासन के किस नियम के तहत भर्ती की जाएगी, इसका भी उल्लेख नदारद है।सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी के मामले में जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, उनका पालन नदारद है।कुल मिलाकर संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया कठघरे में है। हाई कोर्ट ने तर्क सुनने के बाद नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया।
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