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भोपाल: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने नर्सिंग छात्रों को बड़ी राहत दी है। अप्रैल से उन नर्सिंग कॉलेजों के छात्र भी परीक्षा दे सकेंगे, जिन्हें सीबीआई जांच में अपात्र बताया गया था। बता दें कि 66 नर्सिंग कॉलेज अपात्र और 73 में कुछ गड़बड़ी मिली थी।
जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने आदेश में स्पष्ट कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गलतियों का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। इन्हें एक अवसर प्रदान करते हुए परीक्षा में शामिल किया जाए। बता दें कि करीब चार साल से नर्सिंग कॉलेजों में चल रहे फर्जीवाड़े के बाद से परीक्षाओं पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन, अब कोर्ट की राहत के बाद 45 हजार छात्र परीक्षा में इसी सत्र से शामिल होंगे। इन विद्यार्थियों की परीक्षा मेडिकल यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी किए गए टाइम-टेबल के आधार पर अप्रैल से होगी। मेडिकल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल ने बताया कि बीएससी नर्सिंग फर्स्ट ईयर बैच 2020-21, बीएससी नर्सिंग थर्ड ईयर 2019-2020, पीबीबीएससी नर्सिंग फ़र्स्ट ईयर 2020-21 और एमएससी नर्सिंग 2020-21 फर्स्ट ईयर के एग्जाम इसी साल अप्रैल से शुरू होंगे। हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने परीक्षा कराने के लिए लगाई गई कम से कम 9 याचिकाओं में एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया है। खास बात यह है कि सभी विद्यार्थियों को एक ही बार परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। इधर, 375 मे से 308 नर्सिंग कॉलेज कि जांच सीबीआई ने की थी। 67 नर्सिंग कॉलेज सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेकर आ गये थे। इसलिए इनकी जांच नहीं पाई थी।
जीरो ईयर का फैसला शासन ले नर्सिंग कॉलेजों में 2023-24 में जीरो ईयर करने के संबंध में हाई कोर्ट ने कहा कि यह फैसला शासन स्तर पर लिया जा सकता है। मेडिकल यूनिवर्सिटी ने जीरो ईयर का प्रस्ताव भेज दिया है। तर्क यह दिया जा रहा है कि राष्ट्रीय नर्सिंग काउंसिल के मानकों के आधार पर 2023-24 में तो मान्यता देकर एडमिशन ही नहीं किए गए हैं। इस तरह जीरो ईयर ही उपयुक्त कदम होगा। मप्र में यह घोटाला 2020 में सामने आया था।