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![नहीं रही भोपाल की हीरा-बुआ, डेंगू से हुई मौत नहीं रही भोपाल की हीरा-बुआ, डेंगू से हुई मौत](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/10/31/1386625--.gif)
फाइल फोटो
जनता से रिस्ता वेबडेसक | भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आया के पद पर कार्यरत 54 वर्षीय हीरा बाई परदेसी उर्फ हीरा बुआ का शनिवार को निधन हो गया। वह डेंगू होने के बाद पिछले चार दिनों से निजी अस्पताल में भर्ती थी। उनकी प्लेटलेट्स नौ हजार तक पहुंच गई थी। उनका अंतिम संस्कार देर शाम छोला विश्राम घाट पर किया गया।
उनकी मौत की खबर सुनकर पुराने शहर में उनको जानने वाले मायूस हो गए। दरअसल, हीरा बाई अपने काम के अलावा लोगों की मदद करने के लिए ज्यादा पहचानी जाती थीं। वह लावारिस शवों को मोक्ष दिलाने के लिए अपने खर्चे पर अंतिम संस्कार करती थीं। उन्होंने 1500 से ज्यादा लावारिस और निर्धन परिवार के शवों का अंतिम संस्कार किया। उनके इन सेवा कार्यों को देखने वालों में से एक भदभदा विश्राम घाट के सचिव ममतेश शर्मा ने बताया कि वह पांच से छह साल से हीरा बुआ को जानते थे। उन्होंने बताया कि हीरा बुआ भदभदा विश्राम घाट पर कई शव लेकर खुद आईं।
शर्मा ने बताया कि हीरा बाई का समर्पण और जुनून ऐसा था कि उन्होंने एक बार खुद एक शव को मुखाग्नि दी। शर्मा ने बताया कि जैसा पिता की अंत्येष्टि बेटा करता है। वही, भाव हमने हीरा बुआ के अंदर देखा है। वह हर शव का अंतिम संस्कार परिवार का सदस्य मान कर करती थीं।
निर्धन परिवार को खाने के पैसे दे देतीं
हमीदिया अस्पताल में उनके साथ लंबे समय तक काम करने वालों ने बताया कि वह दूसरों की मदद तन, मन और धन से करती थीं। मेडिकल वार्ड-4 की इंचार्ज सिस्टर सरिता ल्यूक ने बताया कि उनके साथ लंबे समय तक ड्यूटी की। वह आया कि नौकरी करती थीं। फिर भी अंतिम संस्कार करने आए लोगों की हालत देखकर अपने पास से खाने के लिए पैसे दे देती थीं, जबकि वह अस्पताल में सिर्फ आया थीं। हीरा बाई स्टाफ की मदद करने के लिए भी तैयार रहती थीं। उनको कभी कोई काम बता दें, तो मना नहीं करती थीं। वह सभी धर्मों के लोगों की एक भाव से सेवा करती थीं।
28 नवंबर को बेटे की शादी
हीरा बाई अपने बेटे मोहित परदेसी के साथ पुराने शहर के मालीपुरा में रहती थी। उनके पति की 13 साल पहले मौत हो चुकी थी। उनके एक परिचित ने बताया कि मंगलवार को उनको बुखार आने पर संदर मंजिल स्थित चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने बताया कि उनके बेटे मोहित की 28 नवंबर को शादी है। भोपाल के बुधवारा में रिश्ता तय हुआ है। हीरा बाई ने बहू के लिए शॉपिंग भी कर ली थी। मेरिज गार्डन भी बुक करवा दिया था। वह बेटे की शादी से पहले ही चली गई।
दूसरों की मदद के लिए आगे रहती
हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. लोकेन्द्र दवे ने कहा कि कुछ दिनों से वह छुट्टी पर थीं। उन्होंने कभी बीमारी के लिए छुट्टी नहीं ली। हमेशा कमजोर और बेसहारा लोगों की मदद के लिए आगे रहती थीं।