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मध्य प्रदेश
स्कूल में नाम के लिए हैंडवॉश यूनिटें, पानी की व्यवस्था नहीं
Admin4
19 Feb 2024 1:38 PM GMT
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रायसेन। शहर सहित जिले के सरकारी स्कूलों में पीएचई विभाग द्वारा करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर पीने के पानी की टँकी से कनेक्शन कर हैंडवॉश सिस्टम यूनिट लगाए गए थे।लेकिन स्कूल प्रबंधन की अनदेखी के चलते अब नलों से नहीं आ रहा पानी।ऐसी स्थिति में
स्कूल परिसर में पानी का इंतजाम नहीं होने के कारण बच्चों को यहां-वहां भटकना पड़ रहा है।जबकि शासन के ऐसे आदेश है कि कोई भी बच्चा बाउंड्री के बाहर पानी पीने न जाए। लिहाजा इसके चलते ही शिक्षण संस्थाओं में हैण्डवॉश यूनिट बनाए गए। इसका एक उद्देश्य यह भी है कि जब बच्चा स्कूल जाए तो हाथ धोकर ही अंदर प्रवेश करें । जिससे संक्रमण से भी बचा जा सके। लेकिन जिले के साँची ब्लॉक के कई स्कूलों में नल ही नहीं हैं, कई जगह तो हैंडवाश यूनिट टूटने लगी है। नल, बिजली और मोटर नहीं होने के कारण पानी की टंकी तक नहीं भर पाती है। जबकि बजट में मोटर से लेकर बिजली लाइन तक का लाखों का खर्च शामिल किया गया था।
दुर्घटनाओं की बनी रहती है आशंका....
गौरतलब है कि शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में मध्यान्ह भोजन के पहले और बाद में अधिकांश बच्चे स्कूल परिसर के बाहर लगे हैंडपंप पर न केवल हाथ धोने के लिए जाते है।बल्कि अब थाली बर्तनों की सफाई भी हैंडपंपों पर जाकर करते है। जिससे दुर्घटनाओं की भी हरदम आंशका बनी रहती है। हैंडवॉश यूनिटों की बदहाल स्थिति को लेकर शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते है। स्कूल के जिम्मेदारों का कहना है कि हमने पीएचई विभाग रायसेन को जानकारी दे दी है। वहीं स्कूलों में बंद पड़ी हैंडवाश यूनिट को लेकर स्कूलों के शिक्षक गांवों के ही कुछ शरारती तत्वों को इसके बंद होने की वजह बताते हैं।
इनका कहना है....
हमारा काम हैंडवॉश बनाना था, हैंडओवर कर दिए हैं....
हमारा काम केवल हैंडवॉश बनाना था। टूट-फूट या चोरी होती है तो इसमें हम क्या कर सकते हैं। स्कूल प्रबन्धन की जिम्मेदारी है। जहां तक हैंडओवर करने की बात है तो सभी हैंडवॉश हैंडओवर किए जा चुके है। स्वदेश कुमार मालवीय ईई, पीएचई रायसेन
मुझे जानकारी नहीं है। मैं इन्हें दिखवाता हूं। जल्द ही पानी की व्यवस्था और हैंडवॉश यूनिट पंचायत ,पीएचई द्वारा ठीक कराई जाएगी।टीके रैकवार , जिला समन्वयक शिक्षा केन्द्र रायसेन
जिले के सांची. ब्लॉक के अधिकांश गांवों में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला और आंगनबाड़ी केंद्र में हैंडवाश यूनिटें दिखावा साबित हो रही हैं। स्कूल में पीने के पानी और हाथ धोने के लिए हैंडवाश यूनिट बनवाई गई थी।लेकिन अब यह बंद पड़ी हैं। हैंडवॉश यूनिटों में न तो नल है और ना ही पानी की व्यवस्था है। बच्चों को पीने के पानी से लेकर हाथ धोने के लिए हैंडपंप पर जाना पड़ता है। यदि स्कूल में हैंडपंप न हो तो बच्चे स्कूल परिसर के बाहर जाकर पानी लाते हैं। यही हाल जिले की सभी तहसीलों की शासकीय प्राथमिक शालाओं के बने हुए हैं।जहां स्कूल के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होती है।
यहां शासन प्रशासन ने लाखों करोड़ो रुपए खर्च कर हैंडवॉश यूनिट बनवाई थी।लेकिन यूनिटें गुणवत्तीहीन सामग्री की भेंट चढ़ गई। हैंडवॉश यूनिटों का इतना घटिया काम किया गया है कि चंद महीनों में ही यूनिटों की टाइल्स टूटकर खराब हो गई। नल गायब हो गए, यूनिटें बंद पड़ी हैं, लेकिन जिम्मेदारों का ध्यान तक नहीं है। इन यूनिटों के निर्माण की मॉनीटरिंग पीएचई विभाग के सुपुर्द थी। विभाग ने भी ठेकेदारों को काम देकर इतिश्री कर ली। काम गुणवत्तापूर्ण हो रहा है या नहीं? इसकी तक मॉनीटरिंग नहीं की गई। इसी का परिणाम है कि बच्चों में स्वच्छता की अलख जगाने वाली हैंडवॉश यूनिटें गुणवत्ताविहिन कार्य की भेंट चढ़ गई और बच्चों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
हैंडवॉश यूनिट के तहत यह होने थे काम....
सरकारी प्राइमरी मिडिल
स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में हैंडवॉश यूनिट बनाकर एस्टीमेट के हिसाब से पानी टंकी, मोटर, हैंडवॉस प्लेटफार्म जिसमें नल फिटिंग आदि के कार्य होना था।परन्तु ठेकेदार द्वारा न तो प्लेटफार्म ठीक से बनाए और न ही टाइल्स, नल कनेक्शन किए हैं। हैंडवॉश की टाइल्स भी जगह-जगह से टूट गई है। इससे सरकार की यह योजना सिर्फ दिखावा और ठेकेदारों के लिए कमाई का जरिया मात्र बनकर रह गई। ग्रामीणों का आरोप है कि हैंडवाश यूनिट के नाम पर राशि खर्च होने के बाद भी हालात जस के तस हैं। बच्चे हैंडपंप और अन्य जलस्रोतों से प्यास बुझा रहे है। जिसमें स्कूल की लापरवाही तो है ही, साथ ही काम की मॉनीटरिंग करने वाला विभाग भी उतना ही जिम्मेदार है।जितना कि गुणवत्ता विहीन काम करने वाला ठेकेदार, लेकिन कार्रवाही तक नहीं हो रही।
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