मध्य प्रदेश

बंजर जमीन पर हौसलों की हरियाली, पर्यावरण के योद्धाओं के प्रयासों से निखर उठी प्रकृति

Admin Delhi 1
6 Jun 2023 5:16 AM GMT
बंजर जमीन पर हौसलों की हरियाली, पर्यावरण के योद्धाओं के प्रयासों से निखर उठी प्रकृति
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इंदौर न्यूज़: महेश्वर, बड़वाह, गोगांवा, सेगांवा, सनावद, कसरावद, भगवानपुरा, भीकनगांव की बंजर पहाड़ियों पर हरियाली की किसी ने कल्पना नहीं की थी. 26 साल पहले 1997 तक यहां सूनापन था. गायत्री परिवार ने पौधे लगाए. देखरेख की. 50 हजार पौधे पेड़ बन गए. जोगीलाल मुजाल्दे ने बताया, आज इतनी हरियाली है कि वृक्ष तीर्थ मेहरजा बन गया. यहां 18500 पौधे पेड़ बन गए. सनावद में 20 हजार पौधों ने जंगल का रूप ले लिया.

छिंदवाड़ा में बंजर जमीन पर तैयार बगीचे के साथ पर्यावरण के योद्धा.

धरमटेकरी साईं मंदिर... 2015 में इस बंजर भूमि पर धूल उड़ती थी. न पानी की एक बूंद, न पक्षियों का कलरव.... मुरम भरी जमीन पर पौधे उगाने की कल्पना भी नहीं की ज सकती थी. सुबह-शाम सैर करने वाले युवा और बुजुर्गों को पर्यावरण की ऐसी हालत देख मन में टीस होती. आखिरकार उन्होंने बीड़ा उठाया. महज 8 साल में ही बंजर जमीन सोना बनकर चमकने लगी. आज चारों ओर हरियाली की चादर में प्रकृति लिपटी है. आम, जामुन समेत अन्य प्रजातियों के पेड़ों से बगीचा महक रहा है. शांति और सुकून के साथ टेकरी को सिटी ऑफ फॉरेस्ट का गौरव भी मिला.

संघर्ष ऐसा: 2016 में मॉर्निंग वॉकर्स ने 28 एकड़ में फैली टेकरी पर हरियाली बिखेरने की शपथ ली. मुरम ज्यादा थी. पौधे नहीं पनपे. पानी नहीं था. काली मिट्टी मंगाई. गड्ढे किए. एक किमी पहाड़ी पर नीचे से मिट्टी तेल के टैंकर में पानी लाए. 7 साल की मेहनत से बगीचा बनाया.

● 2018 में मॉर्निंग वॉकर्स के बनाए बगीचे को देख निगम ने अटल वाटिका की नींव रखी.

● 2022 में जनता के लिए इस पार्क को खोला, यही जगह 2005 में बंजर थी. यह भूरी टेकरी कहलाती थी.

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