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15 साल से नहीं बढ़ा विवि को मिलने वाला अनुदान, वेतन में ही खर्च हो रहा बड़ा हिस्सा
भोपाल न्यूज़: उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शासन की ओर से विवि को मिलने वाला अनुदान नाकाफी साबित हो रहा है. अनुदान के मुकाबले खर्च कई गुना ज्यादा हैं. ऐसे में शिक्षा को बढ़ावा देने की बजाय इसका बड़ा हिस्सा कर्मचारियों को वेतन देने में ही खर्च हो रहा है. विद्यार्थियों की फीस के भरोसे शैक्षणिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं.
बरकतउल्ला विवि में कई पाठ्यक्रम के साथ विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ है. गतिविधियां भी बढ़ी हैं. लेकिन संचालन के लिए शासन की ओर से मिलने वाली मदद नहीं बढ़ी. इसका असर कई योजनाओं पर बढ़ा है. साहसिक खेलों के लिए बरकतउल्वा विवि में प्रोजेक्ट तो है जो बजट की कमी से पूरा नहीं हो पाया. ऐसे कुछ और भी मामलों हैं. गौरतलब है कि 15 साल पहले शासन की ओर से मिलने वाले अनुदान की यह राशि बढ़ाई गई थी. इसके बाद अतििरिक्त कोई संसाधन नहीं हैं.
करीब 15 साल से अनुदान नहीं बढ़ा है. इसे बढ़ाने को लेकर पूर्व शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता के दौर से मांग उठती आ रही है. उस समय समन्वय समिति ने भी मंजूरी दे दी थी, लेकिन सरकार बदलते ही मामला शांत हो गया था. इसके बाद चार मंत्री बदले जा चुके हैं, लेकिन ग्रांट पर कोई निर्णय नहीं हो सका है. जिम्मेदारों ने बताया कि वर्तमान में खर्च ज्यादा हो गए हैं. अनुदान न बढ़ने से नवाचार नहीं हो पा रहे हैं. खर्च में कटौती करनी पड़ रही है.
उच्च शिक्षा पर खर्च को देखते हुए अनुदान बढ़ाने के लिए मांग रखी है. वेतन सहित अन्य मदों में ही अभी ये अनुदान पूरा हो जाता है. अभी फीस पर कई काम निर्भर है.
एसके जैन, कुलपति बरकतउल्ला विवि
यह होगा फायदा:
शासन द्वारा ब्लॉक ग्रांट बढ़ाए जाने से विश्वविद्यालयों को छात्रों से मिलने वाली फीस को खर्च नहीं करना पड़ेगा. इससे विश्वविद्यालय इस राशि का उपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर में कर पाएंगे. इसके अलावा ब्लॉक ग्रांट बढऩे से छात्रों के परीक्षा शुल्क, एडमिशन शुल्क में भी विवि कमी कर सकते हैं.
इंदौर को सबसे ज्यादा ग्रांट: प्रदेश के विश्वविद्यालयों पर नजर डाले तो अभी सबसे ज्यादा ग्रांट इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी को मिल रही है. आठ करोड़ रुपए मिलते हैं. इसके बाद जबलपुर की रानी दुगावर्ती यूनिवर्सिटी को 6 करोड़ मिलते हैं