मध्य प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट में भोपाल गैस त्रासदी को लेकर 18 दिन बाद रखा जाएगा सरकार का पक्ष

Admin Delhi 1
26 Dec 2022 1:03 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट में भोपाल गैस त्रासदी को लेकर 18 दिन बाद रखा जाएगा सरकार का पक्ष
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भोपाल न्यूज़: भोपाल गैस त्रासदी में हजारों प्रभावितों के लाखों आश्रितों को रोजगार और सहायता की योजना अधर में लटक गई. रोजगार के नाम पर ट्रेनिंग तो दी गई. काम नहीं मिला. वहीं सहायता राशि भी रुकी हुई है. इन मांगों को पूरा करने के बड़ी संख्या में पीड़ित नए सिरे से मामला उठा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में 10 जनवरी को याचिका पर सुनवाई होना है.

भोपाल गैस त्रासदी से हजारों लोगों की जानें गई. जो बच गए वे जहरीली गैस के असर से बीमार हो गए. सालों से कई बीमारियां झेल रहे हैं. गैस पीड़ितों के आश्रित भी हादसे की चपेट में अप्रत्यक्ष रूप से आए हैं. ऐसे पीड़ितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नए सिरे से मुआवजा और पुनर्वास का मुद्दा उठा है. करीब दस साल पहले सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई लगी थी. जिसमें आंकड़ों की दोबारा समीक्षा की बात कही. इस पर सुनवाई चल रही है. गैस पीड़ितों ने बताया कि सुधार याचिका में हादसे से जुड़ी मौतों का आंकड़ा 5,295 से 15,342 तक संशोधित किया जाए और सभी 5,21,332 लोगों को लगी चोटों को अस्थाई के बदले स्थायी प्रकृति का माना जाए . आंकड़ों के मामले में राज्य सरकार की भूमिका है. सुप्रीम कोर्ट में इसी जवाब के आधार पर आगे कार्रवाई की जाना है.

हर जनप्रतिनिधि तक पहुंचेंगे पीड़ित: भोपाल गैस पीड़ित संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि अक्टूबर माह से सुधार याचिका पर कार्यवाही शुरू होने के बाद से हम अपना काम शान्ति और धीरज के साथ कर रहे हैं. याचिका पर जल्द ही सुनवाई होनी है और अगर हादसे से हुई वास्तविक क्षति के बारे में सभी को अंधेरे में रखा गया तो सुधार याचिका का पूरा बिंदु ही खो जाएगा और भोपाल गैस पीड़ित फिर से न्याय से वंचित कर दिए जाएंगे. इन्होंने बताया कि 26 दिसम्बर तक इंतज़ार करेंगे कि सरकारें हमें बताए कि उनके वादों के मुताबिक़ मौतों और स्वास्थ्य को पहुंची क्षति के आंकड़ों को वाकई सुधारा गया है. पीड़ितों ने बताया कि शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन के साथ सामूहिक मांगपत्र राज्य शासन और मंत्रियों को दिया जाएगा. इसकी रणनीति बनाई जा रही है.

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