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शासन द्वारा आदिवासी बाहुल्य जिलों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, आवास सुविधा के साथ ही छात्रवृत्ति भी उपलब्ध
सिटी न्यूज़: आदिवासी बाहुल्य जिलों के बच्चों का भविष्य गैर आदिवासी इंदौर जिले में संवर रहा है. यहां करीब एक लाख से अधिक जनजाति वर्ग के विद्यार्थी उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं. इन सभी को शासन द्वारा नि:शुल्क शिक्षा, आवास सुविधा के साथ ही छात्रवृत्ति भी उपलब्ध कराई जा रही है. यहां तक की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी उन्हें करवाई जाती है. 5 हजार से अधिक विद्यार्थियों को कमरा किराया भत्ता तक मिल रहा है. गांव से शहर में आकर अच्छी शिक्षा सुविधा मिलने से हर साल बड़ी संख्या में नीट, क्लेट, आइआइटी में आदिवासी बच्चों का चयन हो रहा है. इनमें पिछले साल 346 और इस वर्ष अब तक 167 विद्यार्थियों ने परीक्षा पास की है. शासन द्वारा पीएससी परीक्षा की भी अलग से नि:शुल्क तैयारी तक करवाई जा रही है. मालूम हो कि प्रदेश की कुल आदिवासी आबादी का 2.5 प्रतिशत ही इंदौर जिले में है. यहां एक भी जनजाति विकासखंड नहीं है. जिले के 5 वन ग्रामों को भी राजस्व ग्रामों में परिवर्तन करने का निर्णय लिया गया है. कम आबादी के बाद भी 2.5 प्रतिशत आबादी के विकास, उनके व बाहर से आने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए 27 करोड़ से अधिक का बजट है. वन अधिकार अंर्तगत 1331 से अधिक जमीन के पट्टे बांटे गए हैं. वहीं, 2226 निरस्त दावे मान्य कर उनको भी जमीन का हक दिया गया है.
इंदौर में सबसे ज्यादा पढ़ने आ रहे बच्चे: आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त निशा मेहरा ने बताया, 2.5 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले जिले में सबसे ज्यादा आदिवासी बच्चों को नि:शुल्क उच्च शिक्षा की सुविधा दी जा रही है. आदिवासी बाहुल्य जिलों से बड़ी संख्या में हर साल बच्चे इंदौर पढ़ने आ रहे हैं. इन सभी को शासन की योजनाओं का प्राथमिकता से लाभ दिलवाया जा रहा है. युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भगवान बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना में एक लाख से 5 लाख रुपए तक का ऋण दिया जा रहा है. वहीं, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना में 10 हजार से एक लाख तक का ऋण उपलब्ध करा रहे हैं.