मध्य प्रदेश

पूर्व अपर आयुक्त मेहता निलंबित, आर्थिक अनियमितता का लगा था आरोप

Shantanu Roy
16 Jun 2022 1:28 PM GMT
पूर्व अपर आयुक्त मेहता निलंबित, आर्थिक अनियमितता का लगा था आरोप
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ग्वालियर। ग्वालियर नगर निगम में अपर आयुक्त रहे संजय मेहता को नगरीय प्रशासन विभाग ने आर्थिक अनियमितता और अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया है। उन्हें संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन ग्वालियर कार्यालय में अटैच किया गया है। संजय मेहता को नगर निगम में अपर आयुक्त पद से बुरहानपुर नगर निगम का आयुक्त बनाया गया था और इसी दौरान उन्होंने आर्थिक अनियमितता को अंजाम दिया। वे आगामी सितंबर माह में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

विभाग ने अप्रैल में निगमायुक्त एसके सिंह का भोपाल तबादला कर अपर आयुक्त ग्वालियर रहे संजय मेहता को नगर निगम बुरहानपुर का आयुक्त बनाया था। यहां प्रभार ग्रहण करते हुए उन्होंने निगम कोष से ठेकेदारों व अन्य एजेंसियों के ताबड़तोड़ भुगतान करने शुरू कर दिए थे। आरोप है कि कई भुगतान उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर भी किए थे। न्यायालय से स्थगन आदेश मिलने के बाद एसके सिंह ने दोबारा पांच मई को जब निगमायुक्त का प्रभार लिया तो इस अनियमितता का पता चला था। इसकी शिकायत कलेक्टर एवं प्रशासक प्रवीण सिंह ने नगरीय प्रशासन विभाग को करते हुए कार्रवाई की सिफारिश की थी।
निलंबन आदेश में यह कहा: विभाग ने निलंबन आदेश में कहा है कि संजय मेहता आठ अप्रैल से चार मई तक निगमायुक्त के प्रभार में रहे। प्रभार वाले दिन यानी आठ अप्रैल को ही उन्होंने स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए वाल पेंटिंग की पांच लाख की वित्तीय स्वीकृति को 17 लाख रुपये कर दिया। इसका देयक 18.70 लाख का प्रस्तुत किया गया। इसी प्रकरण में लोकायुक्त ने निगम के इंजीनियर को ट्रैप भी किया था। सीवरेज परियोजना के प्रथम चरण का काम कर रही अंकिता कंस्ट्रक्शन का विभिन्न कारणों से रोका गया 246 लाख रुपये का अंतिम भुगतान बिना अनुमति के कर दिया।
साथ ही 3.74 करोड़ रुपये का जीएसटी भुगतान भी कर दिया। इसी तरह ठेका श्रमिक की आपूर्ति करने वाली साईं इंटरप्राइजेस को 203 लाख का भुगतान कर दिया। इसके अलावा अन्य मद में मिले 564 लाख रुपये का भुगतान भी दूसरी एजेंसियों को किया गया। साडा में भी रहे सीइओः नगर निगम में अपर आयुक्त बनने से पहले संजय मेहता विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) में भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीइओ) के तौर पर पदस्थ रहे थे। इस दौरान साडा में भी कई गड़बड़ियों की शिकायतें हुई थीं।
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