मध्य प्रदेश

फॉर ग्रीन ने पेड़ पर फूल मालाएं चढ़ाकर जताया विरोध, जानें वजह

Admin4
11 July 2022 12:51 PM GMT
फॉर ग्रीन ने पेड़ पर फूल मालाएं चढ़ाकर जताया विरोध, जानें वजह
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देहरादून. उत्तराखंड के देहरादून में रिंग रोड को फोर लेन में कन्वर्ट करने के लिए 2200 पेड़ों को काटा जा रहा है. इनमें से 400 पेड़ों को जड़ सहित उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जाएगा. रिंग रोड की शान इन पेडों को इन दिनों युद्व स्तर पर काटा जा रहा है. सिटीजन फॉर ग्रीन दून से जुड़े लोगों ने रविवार को रिंग रोड़ पर इकटटा होकर पेड़ काटे जाने का विरोध किया. प्रोटेस्ट में कई सामाजिक कार्यकर्ता, युवा, बच्चे भी शामिल थे, जो पेड़ काटने के बजाए सड़क चौड़ीकरण के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करने की मांग कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार भले ही 400 पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की बात कह रही हो, लेकिन ऐसे पेड़ों का सक्सेस रेट बहुत कम होता है. दून में पूर्व में किए गए ऐसे प्रयोग सफल नहीं हुए हैं.

दरअसल, देहरादून शहर के ट्रैफिक लोड को कम करने के लिए देहरादून के एंट्री प्वाइंट जोगीवाला से शहर के बाहर ही बाहर मसूरी जाने वाली सड़क पर कुल्हान तक 14 किलोमीटर के हिस्से का चौड़ीकरण होना है. जिसके लिए फर्स्ट फेज में पेड़ काटे जा रहे हैं. पेड़ कटने के बाद सड़क को फोर लेन में कन्वर्ट करने का काम शुरू कर दिया जाएगा. सिटीजन फॉर ग्रीन दून के सचिव हिमांशु अरोड़ा का कहना है कि हम सरकार को जगाने और पेड़ों को बचाने का एक प्रयास कर रहे हैं. अरोड़ा ने आगे कहा कि तमाम जगह लोगों ने सड़कों पर अतिक्रमण का दुकानें बना ली हैं, उनको हटाने के बजाए, सरकार पेड़ काटकर सड़क चौड़ी कर रही है. देहरादून कभी पर्यावरण के लिहाज से हिंदुस्तान के खूबसूरत शहरों में एक था, लेकिन आज ऐसे ही पेड़ काटकर यहां की ग्रीनरी को खत्म किया जा रहा है.

अरोड़ा का कहना है कि सिर्फ 14 किलोमीटर सड़क जो पहले ही टू लेन है, चौड़ीकरण के लिए 2200 पेड़ों की बलि दी जा रही है. उन्होंने कहा कि पेडों को काटे बिना भी चौड़ीकरण का ऑप्शन तलाशा जा सकता था. एक्टिविस्ट जया का कहना है कि देहरादून शहर का स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है. जया का कहना है कि ट्रैफिक को टूरिस्ट को मसूरी की ओर डायवर्ट तो किया जा रहा है लेकिन, ये भी सोचना होगा कि क्या मसूरी की इतनी कैरिंग कैप्सिटी है? जया कहती हैं कि कभी गर्मियों में लोग देहरादून का रूख करते थे, लेकिन आज देहरादून की आबोहवा इतनी पॉल्यूटेड हो चुकी है कि यहां प्रचंड गर्मी पड़ रही है. आखिर ऐसा विकास करके हम हासिल क्या करना चाहते हैं.

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