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भोपाल: जिले में हाल ही वर्षों में बनी मेन केनाल से लेकर माइनर तक के काम में बेहद गड़बड़ काम हुए हैं. इसी का नतीजा है कि एक बारिश भी नहीं झेल पाई नहरें कई जगह से बह गईं और सीपेज के कारण खेतों में लगी फसलें खराब हो रही हैं. वर्षों की मांग के बाद जो नहरें बनी हैं उनसे भी किसानों को बहुत फायदा नहीं मिल पा रहा है.
कुछ नहरों की गड़बड़ी को लेकर किसानों ने जनप्रतिनिधि और अधिकारियों तक शिकायत की, तो मामले को तूल पकड़ता देख जांच के आदेश दे दिए गए और कहा गया कि ठेकेदार से टूटी नहर के हिस्से का फिर से निर्माण कराया जाएगा. गारंटी पीरियड में जो जलाशय तट या नहरें क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनकी मरम्मत के लिए नोटिस पर नोटिस जारी हो रहे हैं, लेकिन ठेकेदार उस पर बेफिक्र हैं. विभाग ऐसे ठेकेदारों पर न जाने क्यों मेहरबान है, जबकि कायदे से इन पर विभागीय नियमों के मुताबिक कार्रवाई होनी चाहिए थी.
शर्तों के अनुसार नहीं हुआ काम: जिले में जल संसाधन विभाग के हाल के वर्षों में जो काम हुए हैं, उनमें ज्यादातर मनमानी की भेंट चढ़ गए. माचागोरा की नहरें हो या कुरई ब्लॉक में थांवरझोड़ी या फिर कांचना-मंडी या हालोन हर कहीं निर्माण में कमियां सामने आ रही हैं. जमीनी पड़ताल में सामने आया कि पेंच व्यपवर्तन परियोजना के माचागोरा बांध से सिवनी जिले में असिंचित क्षेत्रों को सिंचित करने बनाई गई मेन केनाल हो या माइनर नहर निर्माण में गड़बड़ी हुई है. जिसकी गवाही मौके के हालात खुद बयान कर रहे हैं.
घोंटी-पुसेरा के बीच माइनर नहर पहली बारिश भी नहीं झेल पाई, बारिश के पानी में नहर का बड़ा हिस्सा बह गया. हालात ये हैं कि कांक्रीट बहने के बाद खेत में लगी फसल भी पानी के बहाव में मिट्टी के साथ बह गई. नरेला के किसान ब्रजनारायण बघेल के खेत में नहर से लगातार सीपेज के कारण 5 एकड़ में फसल नहीं हो पा रही है. बखारी के शिवम तारन ने बताया कि जगह-जगह नहर टूटी है, सीपेज के कारण फसल खराब हो रही है, पानी बेकार नाले में बह रहा है. करोड़ों रूपए के काम जिन शर्तों पर ठेकेदार से कराए गए थे, उन शर्तों का पालन कराने निर्माण के दौरान लापरवाही बरती गई. न तो सीमेंटीकरण में सही लाइनिंग हुई, न ही लेबल मिलाया गया, न ही मटेरियल ही सही क्वालिटी में इस्तेमाल हुआ है. अब महज नोटिस और फिर से निर्माण की खानापूर्ति की जा रही है.