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ग्वालियर : कड़ाके की ठंड में पाला पड़ने की आशंका है। जिसको देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने फसल को पाले से बचाने के लिए सलाह जारी की है। जिसमें उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में फसलों में पानी न दें अथवा रात दस बजे से पहले दें। इसके साथ ही फसलों व उद्यानिकी फसलों पर किसान घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी का दो से ढाई ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करें। एक एकड़ भूमि में 200 लीटर घोल का छिड़काव करें।
कृषि वैज्ञानिक राज सिंह कुशवाह का कहना है कि इस मौसम में पाले से फसल बचाने के लिए गंधक,यूरिया के घोल का निर्धारित मात्रा में छिड़़काव करना चाहिए। जिससे दो डिग्री तक तापमान का असर कम कर देता है। पाला पड़ने से नर्सरी पर अधिक नुकसान होता है। इसलिए रात्रि के समय पौधों को प्लास्टिक की चादर से ढकें। जिन किसानों के फलदार वृक्ष की उम्र दो वर्ष है वह पौधों को घासफूस से ढक कर पाले से बचा सकते हैं। इसके अलावा थालों के चारों और मल्चिंग करके सिंचाई करें। छोटे किसान खेतों के क्षेत्रफल कम हो वह मेड़ों के ऊपर उत्तर-पश्चिम की तरफ घास फूस आदि में थोड़ा नमी बनाकर जलाकर धुंआ करें। यह क्रिया पाला बचाने में कारगार है।