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बिजली का उत्पादन बढ़ा लेकिन गढ्ढ़ों ने खोल दी सरकार की पोल
भोपाल. मध्य प्रदेश के बड़े इलाके पर इस बार इंद्र देव की कृपा बरस रही है. भारी बारिश के कारण कहीं खुशी कहीं गम जैसे हालात बन गए हैं. बारिश के कारण नदी नाले तालाब लबालब हो गए हैं. लेकिन सड़कें और पुल पुलिया बह गए हैं. खेतों में पानी भर गया है. कहीं कोई पानी में बह गया है तो किसी के जानवर डूब गए हैं. इन सबके बावजूद एक अच्छी खबर ये है कि भारी बारिश में बिजली की मांग कम हो गयी है.
मध्य प्रदेश में बारिश के बाद सैकड़ों किलोमीटर सड़कों के उखड़ने की तस्वीरें निकाल कर सामने आई हैं. शहरी क्षेत्रों से लेकर गांव और जिलों में सड़कों के उखड़ने की खबरें हैं. भोपाल में तेज पानी के कारण एनएच 46 पर बने पुल का एक हिस्सा धंस गया.सीहोर के रहटी में 1 किलोमीटर सड़क पूरी तरीके से उखड़ गई. जगह जगह सड़कों पर गहरे गढ्ढे हो गए. बस्तियों में पानी भर गया. कई जगह बाढ़ आ गयी.
दोहरी खुशी लायी बारिश
लेकिन दूसरी तरफ बारिश दो तरफा अच्छी खबर लेकर आयी है. अच्छी खबर यह है बिजली की मांग कम और उत्पादन ज्यादा हो गया है. भारी बारिश के इस मौसम में कोयले से बनने वाली बिजली पर निर्भरता कम हो गई है. झमाझम बारिश के बाद बिजली की डिमांड कम हो गई है. प्रदेश में बिजली की मांग घटकर 9840 मेगा वाट प्रतिदिन हो गयी है. पहले ये 12 हजार प्रतिदिन से ज्यादा थी. दूसरी तरफ डेमो में पानी भरने के कारण हाइडल पावर प्रोजेक्ट पर भी बिजली का उत्पादन तेज हो गया है. संयुक्त उपक्रम ओंकारेश्वर से प्रतिदिन 1987 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. राज्य सरकार के हाइडल पावर प्रोजेक्ट से 453 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है.