मध्य प्रदेश

स्कूल और प्रशासन की लापरवाही से बच्चों पर खतरा

Admin Delhi 1
31 Dec 2022 11:34 AM GMT
स्कूल और प्रशासन की लापरवाही से बच्चों पर खतरा
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इंदौर न्यूज़: आ ए दिन इंदौर में स्कूली वाहनों के दुर्घटना ग्रस्त होने की खबर देखने व सुनने को मिल ही जाती है. उन परिवारों से पूछिए जिन्होंने इन दुर्घटनाओं में अपने बच्चों को खोया है. हर हादसे के बाद ध्यान भटकाने के लिए जांच और कार्यवाही की नौटंकी चलती है फिर सब कुछ पहले जैसा हो जाता है. अभिभावक भी समझौता कर बच्चों को जान हथेली पर रखकर इन्हीं वाहनों से स्कूल भेजने को मजबूर है. ऐसे हादसे बच्चों पर मनोवैज्ञानिक असर डालते हैं और जीवन भर बाल मन में खौफ भर देने वाले होते हैं.

ऐसे हादसे करीब - करीब होते ही रहते हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल लीपापोती ही होती है. यह महज हादसे नहीं होते बल्कि सुनियोजित अपराधिक कृत्य की तरह हैं, जो सालों से प्रदेश में स्कूली बच्चों के परिवहन के नाम पर खेला जा रहा है. राज्य सरकार से लेकर बाल संरक्षण आयोग की ओर से हर हादसे के बाद एडवाइजरी और गाइडलाइन जारी की जाती है लेकिन यह सब रस्म अदायगी से अधिक कुछ भी नहीं है. स्कूली वाहनों के हादसे महज तकनीकी समस्या नहीं है, बल्कि घोर लापरवाही का परिणाम है. रिक्शा - वैन में ठूस- ठूंस कर भरे जा रहे हैं स्कूली बच्चे. जबकि नियमत ऑटो में बारह साल के कम आयु के पांच बच्चे और वहीं वैन में दस से ज्यादा बच्चों को नहीं बैठाया जा सकता. फिर भी कमाई के चक्कर में वाहन चालक क्षमता से अधिक बच्चे बैठाते हैं. कई बच्चे तो लटक कर जाते हैं. जिससे दुर्घटनाओं का अंदेशा हमेशा बना रहता है. स्कूल वाले तो इन मामलों में हाथ खड़े कर देते हैं इसलिए पैरेंट्स को ही चाहिए कि वे अपने बच्चों को ऐसे वाहन में ना भेजें जिसमें क्षमता से अधिक बच्चे हों. आप अपने बच्चे को जिस भी वाहन से भेज रहे हों, उसकी पूरी जानकारी लें जैसे वाहन के फिटनेस और ड्राइवर सही हैं कि नहीं? आपको अपने बच्चे की सेफ्टी खुद ही देखनी होगी, क्योंकि बाद में किसी को दोषी ठहराने से कोई फायदा नहीं. यदि पालक खुद जागरूक होंगे और सवाल पूछने लगेंगे तो बहुत से मामलों में सुधार होने लगेगा. हम सवाल नहीं पूछते इसीलिए लावरवाही बढ़ती जाती है.

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