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2015 में सामान्य कोटे से आए देवेंद्र अब आरक्षित, बनेंगे डिप्टी कलेक्टर
भोपाल न्यूज़: मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) के राज्य सेवा परीक्षा 2020 के परिणाम जारी होने के बाद जिला पंचायत में प्रतिनियुक्ति पर तैनात लेखाधिकारी वित्त एवं प्रभारी जिला पेंशन अधिकारी देवेन्द्र कुमार द्विवेदी विवादों में घिर गए हैं. उनका चयन 24वें नंबर पर श्रवण बाधित कोटे से डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ, जबकि 2015 में सामान्य कोटे से चयन हुआ था. उनकी सेवा पुस्तिका में भी श्रवण बाधित होने का उल्लेख नहीं है.
देवेन्द्र ने 2015 में एमपीपीएससी परीक्षा सामान्य (जनरल) कैटेगरी से पास की थी. तब वे म.प्र. वित्त सेवा (कनिष्ठ वेतनमान कोषालय अधिकारी/ लेखाधिकारी/सहायक संचालक) की चयन सूची में 39वें स्थान पर थे. इसके बाद उनकी पदस्थापना सतना जिला पंचायत में प्रतिनियुक्ति पर लेखाधिकारी के रूप में हुई. इस पद के साथ
उन्हें प्रभारी जिला पेंशन अधिकारी की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है. दो दिन पहले पीएससी के जारी परिणाम में उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ. सूची में 24वें स्थान पर हैं. चयन आरक्षित विकलांग कोटे से हुआ. वे श्रवण बाधित बताए गए हैं.
इधर, कार्यस्थल पर पदस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के मुताबिक, वे किसी भी तरह से श्रवण बाधित प्रतीत नहीं होते हैं और न ही उन्हें सुनने में किसी भी तरह की दिक्कत है. जिला पंचायत की स्थापना शाखा में भी सेवा के पश्चात उनके श्रवण बाधित होने संबंधी कोई जानकारी मौजूद नहीं है. इतना ही नहीं उनकी सेवा पुस्तिका में भी इस बात का कोई उल्लेख नहीं है. मामले में जिला पंचायत सीईओ डॉ परीक्षित झाड़े से उनके श्रवण बाधित होने की जानकारी चाहे जाने पर उन्होंने ऐसी जानकारी से इंकार किया है. इस संबंध में देवेन्द्र का पक्ष जानने उन्हें कॉल और मैसेज भी किया गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.