मध्य प्रदेश

Damoh : नौरादेही अभयारण्य में बाघिन ने टाइगर रिजर्व भ्रमण के दौरान गाय का किया शिकार

Tara Tandi
1 April 2024 2:04 PM GMT
Damoh : नौरादेही अभयारण्य में बाघिन ने टाइगर रिजर्व भ्रमण के दौरान गाय का किया शिकार
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दमोह : दमोह में नौरादेही अभयारण्य और रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर प्रदेश का सातवां नया टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व बनाया गया है। यहां पहले से 19 बाघों का परिवार रह रहा है और अब दो नए बाघ-बाघिन यहां लाए गए गए हैं। बाघिन कजरी ने बुधवार से ही नौरादेही का जंगल घूमना शुरू कर दिया है और एक गाय का शिकार भी किया है। जबकि बाघ शंभू अभी शांत बैठा है और वह इस नए टाइगर रिजर्व के माहौल को समझ रहा है। वर्तमान में यहां बाघों की संख्या 21 पहुंच गई है।
बता दें, पूर्व में इस जंगल में भेड़िया, नीलगाय, चीतल अपना बसेरा बनाये थे। लेकिन बाघों के आने के बाद यहां का जंगल बाघों से आबाद हो गया है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से आए दो बाघों को बुधवार को सागर जिले के नौरादेही अभयारण्य में छोड़ा गया है। ये दोनों टाइगर बांधवगढ़ के बाहर एंक्लोजर में काफी दिनों से रह रहे थे, जिनका सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर विशेष वाहन से भेजा गया है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से इसके पहले भी कई नर और मादा बाघ को देश के अलग-अलग टाइगर रिजर्व में भेजा गया है। जहां वह अपना कुनबा बढ़ाने में कारगर साबित हुए हैं। एक बार फिर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के एक नर और एक मादा बाघ को नौरादेही भेजा गया है। इससे पहले बांधवगढ़ की एक्सपर्ट टीम और डॉक्टर की उपस्थिति में बाघों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया और अब ये दोनों नोरादेही में पूरी तरह स्वस्थ होकर खुले मैदान में घूम रहे हैं।
अलग-अलग जगह कर रहे भ्रमण
दोनों बाघों को बुधवार रात डोगरगांव की वीट महका में छोड़ा गया था। महका तेंदूखेड़ा ब्लॉक का पूर्व में राजस्व ग्राम था, जिसका अब विस्थापन हो चुका है। यहां से व्यारमा नदी निकली है। बाघ शंभू अधिकांश समय यहीं अपना बसेरा बनाए रहता है। जबकि कजरी तेंदूखेड़ा ब्लॉक की ओर पलायन कर रही है। दो दिन पहले उसकी लोकेशन कोसमदा के जंगलों में मिली थी, जो सामान्य वन तारादेही वन परिक्षेत्र के अधीन आने वाला क्षेत्र है। सूत्र यह भी बताते हैं, कजरी ने आने के दूसरे दिन ही एक गाय का शिकार किया था।
सर्रा और डोंगरगांव रेंज में हैं दोनों
नौरादेही अभयारण्य में वर्तमान समय में छह रेंज हैं, जिनमें तीन सागर जिले में हैं और दो दमोह जिले में हैं। जबकि एक नरसिंहपुर में है। डोंगरगांव का आधे से अधिक भाग तेंदूखेड़ा ब्लॉक का पूर्व में राजस्व ग्राम था और वर्तमान में कजली तेंदूखेड़ा ब्लॉक में है। जबकि उससे लगी वीट हाड़ीकाट के समीप शंभू ने अपना बसेरा बनाया हुआ है। कजली और शभूं की सुरक्षा में एक टीम 24 घंटे लगी हुई है, जिसकी पुष्टि सर्रा रेंजर बलविंदर सिंह द्वारा की गई है। वहीं, जो अन्य बाघ हैं, उनका बसेरा नौरादेही, सर्रा और सिंगपुर रेंज में बना हुआ है और अब संख्या ज्यादा होने के कारण इनके पदमार्ग दमोह जिले की सीमा में ज्यादा मिलने लगे हैं।
जंगल न जाने की कराई मुनादी
बाघन कजरी के जंगली क्षेत्र में होने की जानकारी लगते ही तारादेही रेंजर देवेंद्र गुज्जर ने तारादेही रेंज के अंतर्गत आने वाले गांव में मुनादी कराई है। उन्होंने कहा कि बाघ-बाघिन को छोड़ा गया है और वह जंगली क्षेत्रों में घूम रहे हैं। इसलिये महूआ बीनने या मवेशियों को लेकर जंगल न जाएं। क्योंकि नौरादेही के जंगलों से ही तारादेही का जंगल लगा हुआ है। तारादेही रेंजर ने बताया कि बाघ-बाघिन नौरादेही की सीमा में हैं। सुरक्षा की दृष्टि से गांव में मुनादी कराई गई है, जिससे लोग जंगल की ओर न जाएं।
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