मध्य प्रदेश

कोयले की किल्लत से संकट, ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती शुरू

jantaserishta.com
26 April 2022 1:13 AM GMT
कोयले की किल्लत से संकट, ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती शुरू
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भोपाल: देश में गर्मी में बिजली की बढ़ी मांग और कोयले की किल्लत से संकट खड़ा हो गया है। रोजाना 14 रैक कोयले की जगह प्रदेश को 10 रैक कोयला ही मिलने से परेशानी बढ़ गई है। इससे आने वाले समय में गंभीर बिजली संकट होने की आशंका बढ़ गई है।

प्रदेश में बिजली की मांग 12 हजार मेगावाट की है, लेकिन 10 हजार मेगावाट बिजली ही मिल रही है। 2 हजार मेगावाट बिजली की कमी के लिए ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती शुरू कर दी गई है। एमपी पावर जनरेटिंग कंपनी को थर्मल प्लांटस चलाने के लिए प्रतिदिन 58 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है, लेकिन करीब 50 हजार मीट्रिक टन ही कोयला मिल रहा है।
प्रदेश के चार थर्मल पॉवर प्लांट में श्री सिंगाजी प्लांट में 26 दिन का स्टॉक की जगह सिर्फ 4 दिन का स्टॉक ही बचा हुआ है। इस प्लांट की क्षमता 2520 मेगावॉट है। वहीं, सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट में भी 26 दिन का स्टॉक की जगह अभी 7 दिन का कोयला बचा हुआ है। इसकी क्षमता 1330 मेगावॉट है। संजय गांधी प्लांट में भी 26 दिन की जगह सिर्फ 2 दिन का कोयला बचा हुआ है। इसकी क्षमता 1340 मेगावॉट के आसपास है। वहीं, अमरकंट प्लांट में 17 की जगह 14 दिन का कोयला का स्टॉक बचा है। हालांकि इसकी क्षमता सिर्फ 210 मेगावॉट है।
मध्य प्रदेश सरकार लगातार केंद्र सरकार से कोयले की रैक उपलब्ध कराने के लिए संपर्क में है, लेकिन देश भर में स्थिति खराब होने के चलते समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। प्रदेश को रोजाना सिर्फ 10 रैक ही मिल पा रहे है। एक रैक में 4 से 5 हजार मीट्रिक टन कोयले की ढुलाई होती है।
इस मामले पर ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने कहा कि कोयले की आपूर्ति के लिए प्रदेश सरकार लगातार केंद्र से चर्चा कर रही है। हमें रोजाना के हिसाब से अभी कोयले के रैक मिल रहे है, लेकिन ठंड के हिसाब से हम कोयले का स्टॉक करने को लेकर तैयारी कर रहे है।
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