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मुरैना। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में बीजेपी ने सभापति का चुनाव तो जीत लिया. लेकिन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना नगर निगम में बीजेपी सभापति का चुनाव हार गई, तो वहीं कांग्रेस के सभापति उम्मीदवार राधारमण उर्फ राजा दंडोतिया ने 6 वोटों से जीत हासिल की है. मुरैना महापौर सीट हारने के बाद सभापति की सीट भी हारना केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए एक बड़ा झटका है. क्योंकि कानपुर की सीट हारने के बाद सभापति की सीट को हासिल करने के लिए, सभी नवनिर्वाचित बीजेपी के पार्षदों को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिल्ली बुलाकर अपने बंगले पर रात भर उनके साथ मंथन किया. लेकिन इसके बावजूद उनकी रणनीति कोई काम नहीं आई.
मुरैना सभापति पर कांग्रेस का कब्जा: चंबल की मुरैना नगर निगम पर कांग्रेस ने जीत हासिल करने के बाद अब सभापति पद को भी अपने कब्जे में ले लिया है. कांग्रेस की तरफ से सभापति के लिए वार्ड 27 से राधारमण दंडोतिया को प्रत्याशी बनाया था और भाजपा की तरफ से वार्ड क्रमांक 33 से भावना मंडलेश्वर को प्रत्याशी घोषित किया गया. बीजेपी को कुल 21 वोट मिले, तो वहीं कांग्रेस ने 27 वोट हासिल करके महापौर सभापति की सीट पर कब्जा कर लिया है. मुरैना नगर निगम में बीजेपी के पास कुल 15 पार्षद और कांग्रेस के पास 19 पार्षद थे. वहीं इसके साथ बीएसपी के 6 पार्षद,आप पार्टी का एक और चार निर्दलीय पार्षद थे.
नरेंद्र सिंह तोमर की साख पर सवाल: कुल मिलाकर बीएसपी और निर्दलीय पार्षदों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट दिया, जिससे कारण कांग्रेस का सभापति जीत गया. मोदी सरकार में टॉप फाइव मंत्रियों में शामिल केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है और मुरैना जिला उनका गढ़ माना जाता है. ऐसे में अबकी बार कांग्रेस ने सूपड़ा साफ कर नगर निगम पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है. कांग्रेस के पहले मुरैना नगर निगम पर महापौर के पद पर जीत हासिल की और अब सभापति के पद को भी जीत लिया है. अब सबसे बड़ा सवाल केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की साख पर उठाए जा रहे हैं, क्योंकि अबकी बार इस निकाय चुनाव में तोमर का जादू पूरी तरह फेल नजर आया.