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भोपाल: सरकार प्रदेश में कार्यरत ढाई लाख अधिकारी-कर्मचारियों के मामलों को सुलझाने में लगी है, लेकिन अब भी विभाग अलग-अलग राग अलाप रहे हैं। इसमें तीन ऐसे मामले हैं जिन्होंने संविदा के नियमों के अनुसार नियुक्तियों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। 2018 में बने संविदा नियमों को जस का तस 2023 में नीति बनाकर लागू कर दिया गया है।
इन नियमों की खामियां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के डेढ़ महीने बाद भी खत्म नहीं हुई हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार का कर्मचारियों से दो टूक कहना है कि अभी ऊपर से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। ये तीन विभागों के अलग-अलग मामले इस तरह हैं-
विधानसभा में हाल ही में शिशिरकांत चौबे की परामर्शी सचिव के पद पर नियुक्ति की गई। यह नियुक्ति उनकी आयु 67 वर्ष होने की वजह से की गई थी। इसे विधानसभा सचिवालय ने परिवर्तित कर संविदा पर नियुक्त कर दिया। दरअसल, 2018 के राज्य सरकार के जो संविदा नियम हैं उनके अनुसार 65 वर्ष की आयु के पश्चात संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। यहां परामर्शी सचिव के रूप में वेतन और सुविधाएं हर महीने 75 हजार रुपए से ज्यादा नहीं दी जा सकती। संविदा नियुक्ति देने से उन्हें पेंशन तो मिलेगी ही और अंतिम वेतन रिटायरमेंट के समय जो था मिलेगा। मामले में आपत्ति दर्ज की गई तो यह कहकर दरकिनार कर दिया कि अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी इस तरह की नियुक्ति हुई है।