मध्य प्रदेश

आयुक्त सहकारिता ने जारी किया आदेश लिखा, सदस्य अपने जोखिम पर जमा कराएं पैसा

Admin Delhi 1
21 Jan 2023 8:43 AM GMT
आयुक्त सहकारिता ने जारी किया आदेश लिखा, सदस्य अपने जोखिम पर जमा कराएं पैसा
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इंदौर न्यूज़: यदि सहकारी साख संस्थाओं में पैसा जमा कराते हैं तो अपने जोखिम पर जमा करवाएं. संस्थाओं में रखे पैसों के डूबने पर उसके लिए सहकारिता विभाग जिम्मेदार नहीं है. इस संबंध में एक आदेश भी सहकारिता विभाग ने जारी कर दिया है.

सहकारिता आयुक्त आलोक सिंह के हस्ताक्षर से जारी आदेश में लिखा है कि सहकारी संस्थाओं को लेकर जनमानस में ये अवधारणा है कि ये संस्थाएं पंजीयक के नियंत्रण में आती है. जबकि शहरी साख संस्थाएं अपने सदस्यों के प्रति अर्थात आमसभा के प्रति उत्तरदायी हैं. इन संस्थाओं के दैनिक व्यावसाय, जमा प्राप्त करना, ऋण देना आदि में पंजीयक का कोई हस्तक्षेप नहीं है. बल्कि संस्था के संचालकों को संस्था सदस्यों के पक्ष में काम करना है. शहरी साख सहकारी संस्थाओं (जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और शहरी नागरिक बैंकों को छोड़कर) सभी अपने सदस्यों के लिए जिम्मेदार हैं. इसलिए इन संस्थाओं के सदस्यों और जमाकर्ताओं को ये परामर्श दिया जाता है कि वे अपने जोखिम पर ही शहरी साख संस्थाओं में पैसा जमा करवाएं. भविष्य में यदि कोई साख संस्था अपने जमाकर्ताओं को पैसा नहीं चुकाती है तो उसके लिए सहकारिता विभाग का कोई अफसर जिम्मेदार नहीं होगा.

पूरे प्रदेश में दर्ज सहकारी संस्थाएं 3302

इंदौर की साख संस्थाओं में सदस्यों की संख्या 2 लाख से ज्यादा

इंदौर की साख संस्थाओं में जमा राशि- तकरीबन 10 करोड़ से ज्यादा

इंदौर में दर्ज सहकारी संस्थाएं 810

पैसा जमा कराना बैंकिंग की श्रेणी में

संस्थाओं के कामकाज को लेकर भी सपष्टीकरण आयुक्त सहकारिता ने दिया है, जिसमें कहा है कि संस्थाओं द्वारा गैर सदस्यों से समव्यवहार करना बैकिंग की श्रेणी में आता है, रिजर्व बैंक लाइसेंस देती है, शहरी साख संस्थाओं द्वारा बैकिंग काम करना भी एक्ट का उल्लंघन है.

माना हो रही है धोखाधड़ी

इसी आदेश में पंजीयक ने माना है कि संस्थाएं अपने सदस्यों से अमानत राशि लेने के बाद उन्हें आवश्यकतानुसार ऋण उपविधियों के मुताबिक उपलब्ध कराती हैं. लेकिन देखा जा रहा है कि शहरी साख सहकारी संस्थाओं के नाम पर कई ठगी करने वाले गिरोह भी सक्रीय हैं. ये संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन के लिए अलग-अलग विभागों में सक्रीय रहते हैं. पुरानी संस्थाओं में भी लोकलुभावन योजनाओं का लालच देकर सीधे या एजेंट्स के जरिए पैसा जमा करवाते हैं और जब वे राशि पक जाती है तो उसे नहीं लौटाते हैं. ये साफ तौर पर धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है.

संस्थाएं अपने सदस्यों के लिए जिम्मेदार हैं. विभाग उनकी मानिटरिंग करने का काम जरूर करता है लेकिन उन्हें खुद ही सभी अधिकार हैं. इसके लिए ही ये नियम बनाया है. विभाग द्वारा तय नियम का हम पालन करेंगे.

एमएल गजभिए, उपायुक्त

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