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मध्य प्रदेश
स्कूल की क्लास में छाता लेकर पढ़ रहे बच्चे, वायरल हुआ वीडियो
Ritisha Jaiswal
27 July 2022 1:18 PM GMT

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मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में स्थित सरकारी स्कूल की खूब चर्चा हो रही है। इस स्कूल का एक वीडियो भी सामने आया है
मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में स्थित सरकारी स्कूल की खूब चर्चा हो रही है। इस स्कूल का एक वीडियो भी सामने आया है। वीडियो की चर्चा पूरे राज्य में हो रही है। इस वीडियो में नजर आ रहा है कि स्कूल की छत से पानी टपक रहा है। लेकिन क्लासरूप में बैठे छात्र हाथों में छाता पकड़ कर पढ़ाई कर रहे हैं। कक्षा में शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर उन्हें कुछ पढ़ा रहे हैं और छोटे-छोटे छात्र पानी टपकने की समस्या को भूल छाता पकड़कर पढा़ई कर रहे हैं।
खुद के अलावा अपनी किताब-कॉपी को भींगने से बचाने के लिए इन छात्रों ने हाथों में छाता पकड़ रखा है। राज्य में चर्चा छात्रों में पढ़ाई के प्रति लगन और शिक्षा व्यवस्था में फैली कुव्यवस्था दोनों की हो रही है। तस्वीर सिवनी जिले के घंसौर विकासखंड में स्थित स्कूल है। जहां छात्रों को छाता लगाकर पढ़ाई पूरी करनी पड़ रही है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि स्कूल का भवन भी काफी कमजोर है और वो कभी भी गिर सकता है। किसी अनहोनी की आशंका से घबराए कई परिजन तो अपने बच्चेों को स्कूल तक नहीं भेज रहे हैं। जिल के खेरी कला गांव में स्थित इस मिडिल स्कूल की यह तस्वीरें जर्जर हो रही शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। बताया जाता है कि यहां माध्यमिक की तीनों कक्षाओं में लगभग 35 छात्र अध्ययनरत हैं।
जानकारी के मुताबिक स्कूल की इमारत का निर्माण करीब 12 साल पहले हुआ था। लेकिन अब हालत यह है कि दीवारों और छतों पर लगा प्लास्टर उखड़ा चुका है। छत से पानी लगातार टपकती है और छात्र किसी तरह यहां पढा़ई करने पर मजबूर हैं। इस परिसर में माध्यमिक की तीनों कक्षाओं में लगभग 35 छात्र अध्ययनरत हैं।
अब मध्य प्रदेश कांग्रेस ने राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार को घेरा है। एमपी कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, 'शिव'राज में मध्यप्रदेश की दुर्दशा देखिए : सिवनी जिले के खैरीकला गांव में छत से टपक रहे पानी से बचने के लिए बच्चे स्कूल के अंदर छाता लगा कर पड़ाई करने पर मजबूर हैं। शिवराज जी, पूरा मध्यप्रदेश निगल लिया, लेकिन बच्चों को स्कूल तक नहीं दे पाए? ये है आपके 18 सालों का हासिल?'जानकारी के मुताबिक, यह स्कूल घंसौर मुख्यालय से मात्र छह-सात किलोमीटर दूर है। लेकिन अब तक रहनुमाओं की नजर इसपर नहीं पड़ी है। सोर्स हिंदुस्तान न्यूज़

Ritisha Jaiswal
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